“खान सर का बड़ा बयान सामने आया है!” ‘कुछ लोग कहते हैं आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता…’ लेकिन खान सर ने सवाल उठाया है – “जब आतंकियों ने लोगों से कलमा पढ़वाया… तो बताइए, कलमा कौन पढ़ता है?” एक दम सीधा सवाल, कोई घुमा-फिराकर बात नहीं। “अगर आतंकी खुद धर्म के नाम पर पहचान कर रहे हैं, तो फिर

आतंक का कोई मजहब नहीं – ये बोलना क्या सिर्फ सियासत है?” “इतने पर भी कुछ लोगों की आंखें नहीं खुल रही…” – खान सर का ये बयान अब देशभर में चर्चा का विषय बन चुका है। “क्या खान सर की बात में दम है? या ये बयान और ज़्यादा बाँटने वाला बन सकता है?