हजारीबाग सदर विधायक प्रदीप प्रसाद ने ज़मीन अधिग्रहण में हो रही अनियमितताओं को उठाया सदन पटल पर, गरीब आदिवासियों को न्याय दिलाने की मांग झारखंड में ज़मीन अधिग्रहण में हो रही अनियमितताओं को तुरंत रोका जाए, गरीबों और आदिवासियों को उनकी ज़मीन का उचित मुआवजा मिले :– प्रदीप प्रसाद झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में हजारीबाग के सदर विधायक प्रदीप प्रसाद ने मंगलवार को सदन में गरीब और आदिवासी समुदाय की ज़मीन के अधिग्रहण और उचित मुआवजा न मिलने की समस्या को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने सरकार और प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि एनटीपीसी और अन्य कंपनियों द्वारा ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं हो रही हैं, जिससे गरीब किसानों और आदिवासियों का शोषण हो रहा है। एनटीपीसी और अन्य कंपनियों पर लगाए गंभीर आरोप विधायक ने सदन में स्पष्ट रूप से कहा कि एनटीपीसी के आने के बाद से ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी आई है। पहले सीसीएल ज़मीन अधिग्रहण के दौरान कुछ निश्चित नियमों का पालन करती थी, लेकिन वर्तमान में कंपनियां गरीब किसानों और आदिवासियों को उनका हक़ नहीं दे रही हैं। उन्होंने आगे कहा की आज भी पूरे झारखंड में गैर-मज़ूरा (अराजी) ज़मीन का भुगतान नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, कई ज़मीन मालिकों को मुआवजा नहीं मिला है। यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है, क्योंकि सरकार और प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। झारखंड के किसानों और आदिवासियों के साथ हो रहा अन्याय विधायक ने हरियाणा राज्य का उदाहरण देते हुए बताया कि 10-15 साल पहले भी वहाँ की सरकार प्रति एकड़ 58 लाख रुपये का मुआवजा दे रही थी, जबकि झारखंड के लोगों को मात्र 1 से 1.5 लाख रुपये प्रति एकड़ दिया जा रहा है। यह गरीबों के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि झारखंड के लोग खुद को गरीब बना रहे हैं,

क्योंकि हमारी नीतियाँ सही नहीं हैं। आज हमारी ज़मीनें कम कीमतों पर अधिग्रहित की जा रही हैं और हम अपने ही राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं। विधायक की मुख्य माँगें झारखंड में न्यूनतम दर अधिनियम लागू किया जाए, ताकि ज़मीन अधिग्रहण के दौरान किसानों और आदिवासियों को उचित मुआवजा मिले। एक उच्चस्तरीय जाँच समिति का गठन किया जाए, जो अधिग्रहित ज़मीनों की स्थिति, लंबित मुआवजे और किसानों को हो रहे नुकसान की जाँच कर शीघ्र समाधान प्रस्तुत करे। गैर-मज़ूरा और गैर-रसीदधारी ज़मीन मालिकों को भी मुआवजे का हक़ दिया जाए, क्योंकि कई गरीब किसान दस्तावेज़ीकरण की प्रक्रिया पूरी न कर पाने के कारण अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं। कंपनियों द्वारा किसानों और ज़मीन मालिकों को डराने-धमकाने की घटनाओं पर रोक लगे, और यदि कोई कंपनी इस प्रकार की हरकत करती है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। झारखंड में भूमि अधिग्रहण नीति को पुनः संशोधित किया जाए, ताकि गरीबों और आदिवासियों की ज़मीन उचित दर पर अधिग्रहित हो और उन्हें उनकी ज़मीन का सही मूल्य मिल सके। विधायक प्रदीप प्रसाद ने सदन में कड़े शब्दों में कहा कि यदि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेती है, तो झारखंड के गरीब और आदिवासी जनता के साथ बड़ा अन्याय होगा। उन्होंने कहा कि, अगर हमारी नीतियाँ मज़बूत नहीं हुईं, तो चाहे कोई भी मुख्यमंत्री बने, लेकिन गरीब और गरीब होते जाएंगे। उन्होंने सदन में इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की माँग की और सरकार से अपील की वह झारखंड के गरीब और आदिवासी समुदाय के हक़ की रक्षा करे