गुरुनानक जी के प्रकाश पर्व का कार्यक्रम सेवा रूप में मनाने का संकल्प लेकर सिख समुदाय ने मुंगावली द्वारा प्रतिवर्ष की भांति गुरुद्वारे बस स्टैंड से संकीर्तन प्रारंभ किया ,और जैसे ही ये संकीर्तन नगर में बड़ता गया तो सभी समाजों के लोग उसमे बड़ी संख्या में शामिल हुए। आपको बता दे गुरुनानक साहब का जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा को सन 14 सौ उन्नत्तर में हुआ था और उनको सिख समुदाय संस्थापक और प्रथम गुरु माना गया,नानक साहब ने दुनिया के तमाम देशों में जाकर अपने उपदेश दिए इसलिए उनका एक नाम नानक लामा भी पड़ा, नानक साहब ने सम्पूर्ण जीवन मानव कल्याण में समर्पित किया। नानक देव ने अपने जीवित रहते हुए ही अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी घोषित किया था जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से जाने गए। नानक देव की शिक्षा का दिन ये कहलाया और इसी कारण इसको सेवा दिवस भी घोषित किया गया क्योंकि गुरुनानक जी दूसरो की सेवा को सर्वोपरि मानते थे, इसलिए हर गुरुद्वारे सत्संग में इस दिन युवा पीढ़ी को यही संदेश देने की कोशिश की जाती है। बता दे की इस शोभा यात्रा में सबसे आगे पानी से संपूर्ण रोड की सफाई सिख समुदाय के युवक और युवतियों के द्वारा की जाती है ऐसा मानना है की ग्रंथ साहब का भ्रमण शुद्धि होकर निकले, उसके बाद पंच प्यारे सबसे प्रमुख रूप से इस शोभायात्रा का अहम हिस्सा होता है कहा जाता है की नानक साहब की रक्षा का बीड़ा इनके जिम्मे था जो धर्म रक्षक कहलाए, इसके बाद नानक साहब का चित्र और ग्रंथ साहब को रथ पर भ्रमण हेतु और दर्शन के लिए रखा जाता है जिसमे पीछे सभी समाजजन शामिल होते है पीछे एक गाड़ी में कीर्तन करती महिलाए इसको भव्यता देती दिखाई पड़ती है।
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