ब्रेकिंग गोंडा
मुख्यालय के कमपोजिट विद्यालय मालवीय नगर का छत गिरा
जिला ब्यूरो चीफ अतीक अहमद
गोण्डा यह हाल कहीं और का नहीं बल्कि मंडल मुख्यालय के कमपोजिट विद्यालय मालवीय नगर का है। यह भवन काफी दिनों से जर्जर है। छत के प्लास्टर टूट कर बहुत पहले ही गिर चुके थे। छत की सरिया दिख रही थी। आसपास के लोग इस जर्जर भवन को किसी भी समय धराशाई होने की बात किया करते थे। इसके बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया। अब विभाग का कहना है कि जर्जर भवन की सूची में इसे शामिल करा दिया गया है। खास बात यह है कि जर्जर भवन की सूची में शामिल होने के बाद विद्यालय का अभी तक ध्वस्तीकरण की कार्यवाही क्यों नहीं हुई। यह एक बड़ा सवाल है। आसपास के लोगों का कहना है कि यदि यह छत आधे घंटे बाद गिरती तमाम बच्चे इसकी चपेट में आ सकते थे। पड़ोस के निवासी मोहम्मद रशीद ने बताया कि यह भवन काफी समय से जर्जर है। जिस समय यह भवन की छत गिरी है। उस समय छात्र विद्यालय नहीं पहुंचे थे। उनके आने का समय हो गया था। कमपोजिट विद्यालय होने के बाद उसी के ऊपर एक टीन सेट बना है बच्चे छत पर पढ़ते थे। जो छत गिरी है इसी सीढ़ी के रास्ते से बच्चे प्रतिदिन छत पर पढ़ने जाते थे। वहीं पड़ोस की निवासिनी सबीना ने बताया कि विद्यालय में काफी संख्या में छात्र पढ़ रहे हैं प्रतिदिन विद्यालय खुलता था इसी रास्ते से सभी छात्र जाते थे छत पर पढ़ाई होती थी। लेकिन जिस समय यह गिरा है। उस समय बच्चे विद्यालय नहीं पहुंचे थे। छत गिरने से सीढ़ी के रास्ते पर लगा दरवाजा भी टूट कर गिर गया। ऐसे में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही खुलकर सामने आई है। जब विभाग ने इसे जर्जर भवन की सूची में शामिल करा दिया। तो फिर उसी रास्ते से बच्चे छत पर कैसे पढ़ने जाते थे। जिम्मेदारों ने अलग से कोई व्यवस्था क्यों नहीं किया है। ढेर सारे अनसुलझे सवालों का जवाब जिम्मेदारों के पास नहीं है। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि नगर क्षेत्र में एक विद्यालय के छत गिरने की बात सामने आई है। वह विद्यालय पहले से ही जर्जर भवन की सूची में शामिल है। वहां से बच्चों को हटा दिया गया था। सब कुछ ठीक है कोई दुर्घटना नहीं हुई है। बच्चे छत पर पढ़ रहे थे। जब उनसे पूछा गया कि जीने की जो छत गिरी है इसी रास्ते से बच्चे छत के ऊपर पढ़ने जाते थे। इस पर उन्होंने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारी से पूछा गया था तो उन्होंने बताया कि उस रास्ते को बंद करवा दिया गया था। हालांकि बेसिक शिक्षा अधिकारी की यह बात किसी को हजम नहीं हो रही है। कि जब छत पर जाने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता था और उसे बंद करा दिया गया तो फिर बच्चे छत पर पढ़ने कैसे जाते थे। उन्होंने कहा कि जल्द ही वहां से सारे बच्चों को दूसरे भवन में शिफ्ट कर दिया जाएगा। रास्ते की बात को हम फिर से दिखवाते है।