समावेशी शिक्षा के झरिया रिसोर्स सेंटर के तत्वावधान में गुरुवार को सेरेब्रल पाल्सी दिवस मनाया गया । बच्चों को स्पेशल कीट प्रदान किया गया । इस अवसर पर सी पी बच्चों का जीवन आसान बनाने की जानकारी दी गई । साथ ही फिजियोथेरेपी के तकनीक से अवगत कराया गया । इनके पुनर्वास में सहायक सामग्री का उपयोग का तरीका बताया गया । ज्ञात हो कि इस बीमारी से ग्रसित होने वाले बच्चे शारीरिक एवं मानसिक रूप से दिव्यांग हो जाते हैं। इसका प्रभाव उनके माता, पिता एवं परिवार पर भी पड़ता है। भारत में प्रति हजार बच्चों में दो बच्चे सी.पी. के शिकार हो जाते है जिसके कारण उन बच्चे के परिवार वालो को आर्थिक एवं चिकित्सीय बोझ उठाना पड़ता है। ऐसे बच्चों को चलने, देखने, सुनने और बोलने में भी परेशानी होती है। फ़िज़ियोथेरेपिस्ट डॉ मंनोज सिंह ने कहा कि फिजियोथेरेपी सेरेब्रल पाल्सी (सो.पा) के ईलाज में बहुत कारगर साबित होती है। सी.पी के बच्चों को विशेष प्रकार का व्यायाम जैसे न्यूरो डेवलपमेन्ट तकनीक, गेट ट्रेनींग और सेन्सरी इन्ट्रीग्रेशन कराने की जरूरत होती है। इसके साथ ही उनके मांशपेशियों को मजबूत बनाने के लिये विशेष प्रकार के एक्सरसाइज (व्यायाम) कराया जाता है। डॉ मंनोज ने कहा कि सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित बच्चों को उपचार से ज्यादा प्यार एवं स्नेह देना जरूरी है। रिसोर्स शिक्षक अखलाक अहमद ने कहा कि भारत मे लगभग 35 से 40 लाख बच्चे सी. पी. से ग्रसित हैं। सीपी बच्चों में शरीर के अंगों का बहुत ज्यादा सख्त (टाइट) या हाथ या पैर ढीला होना, सामान्य बच्चों के तुलना में विकास की गति धीमा , शरीर मे अकड़न एवं असंतुलन, मुँह से लार गिरना, मंद बुद्धि जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। मो अखलाक ने कहा कि झरिया के कई सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित बच्चे फिजियोथेरेपी एवं विहेवियर मोडिफिकेशन के सहारे पुनर्वासित हो कर सामान्य स्कूल में पढ़ रहे हैं । मौके पर डॉ मंनोज सिंह,अखलाक अहमद एवं अभिभावकों के साथ मिल्की कुमारी, सोनू वर्मा, पम्मी कुमारी, प्रिंस कुमार, गुड़िया परवीन,छोटू कुमार सिंह, राजू राम, जितेंद्र राय, नंदू वर्मा, आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।