रानीगंज – अंग्रेजी में लिखी गई वाल्मीकि रामायण का हिन्दी अनुवाद पुस्तक का किया गया विमोचन

रानीगंज – अंग्रेजी में लिखी गई वाल्मीकि रामायण का हिन्दी अनुवाद पुस्तक का किया गया विमोचन

रानीगंज के सीताराम जी मंदिर परिसर में आज एक संवाददाता सम्मेलन किया गया यहां अनंत खेतान और प्रज्ञा बंका पत्रकारों से रूबरू हुए आपका बता दें कि इन दोनों ने अमी गणात्रा द्वारा अंग्रेजी में लिखी गई वाल्मीकि रामायण का हिंदी अनुवाद किया है आपको बता दें कि अमी गणात्रा ने वाल्मीकि रामायण का अंग्रेजी अनुवाद किया था जिसका नाम है रामायण अनरेवल्ड इन दोनों ने उसे किताब का हिंदी अनुवाद किया है जिसका आज रानीगंज के सीताराम जी मंदिर परिसर में विमोचन किया गया इस मौके पर किताब के लेखकों ने बताया कि जब उन्होंने रामायण अनरेवल्ड पढ़ा था तब से ही उनकी इच्छा थी कि वह इस किताब का हिंदी अनुवाद करें उन्होंने लेखिका से संपर्क किया और उन्होंने भी उनको अपनी किताब का हिंदी अनुवाद करने की अनुमति दी इसके बाद 9 महीने लग गए और अंततोगत्वा उसे किताब का हिंदी अनुवाद किया जा सका उन्होंने कहा कि उनकी किताब में रामायण के कुछ अनछुए पहलुओं को उजागर करने की कोशिश की गई है विशेष कर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के चरित्र के विभिन्न आयामों को सामने लाने की कोशिश की गई है

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम एक योद्धा क्षत्रिय तो थे ही इसके अलावा वह राजनीति के प्रखर जानकारी थे जब उनके भाई लक्ष्मण वनवास में उनके साथ जाना चाहते थे तो उन्होंने पहले लक्ष्मण की मंशा का मूल्यांकन किया उसके बाद लक्ष्मण को वह अपने साथ वनवास पर ले गए वह यह देखना चाहते थे कि क्या लक्ष्मण आवेग में बहकर उनके साथ वनवास पर जाना चाहते हैं या उनमें सही में 14 सालों तक वनवास में रहने के संकल्प शक्ति है इसके अलावा वनवास के उपरांत जब अयोध्या लौटने की बारी आई तो उन्होंने हनुमान को अयोध्या भेजो और यह पता लगाने की कोशिश की की क्या भारत सही में चाहते हैं कि वह अयोध्या वापस जाएं यह दृष्टांत दिखाते हैं कि वह राजनीतिक रूप से कितने सचेत थे।

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