धरती से दिखने वाला चंद्रमा. जिसकी लोग पूजा करते हैं. कविताएं और शेर लिखते हैं. प्रेमिकाओं की तारीफ के लिए चांद का इस्तेमाल करते हैं. वह खत्म हो रहा है… धीरे-धीरे. बूढ़ा हो रहा है. सिकुड़ रहा है. उसका शरीर ठंडा पड़ता जा रहा है. कुछ लाख साल में यह 45 मीटर यानी 150 फीट से ज्यादा सिकुड़ चुका है. सिकुड़ने का यही दर अब भी बना हुआ है. वैज्ञानिकों ने इसकी स्टडी की तो पता चला कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर आने वाले भूकंप और भूस्खलन की वजह से ऐसा हो रहा है. NASA, ISRO समेत कई स्पेस एजेंसियां दक्षिणी ध्रुव पर ही अपने एस्ट्रोनॉट्स को उतारना चाहते हैं. इसलिए यह जगह स्टडी के लिए बहुत जरूरी है. क्योंकि यहीं पर भविष्य में इंसान अपना मून स्पेस स्टेशन बनाएगा.
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