केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित और व्यवसायी आपदा की भेंट चढ़ चुके अपने भवनों और दुकानों के साथ भूमि का मालिकाना हक दिए जाने सहित चार सूत्री मांगों को लेकर आंदोलनरत है। इस बीच सोमवार से आमरण अनशन पर बैठे दो तीर्थ पुरोहितों में से एक का स्वास्थ्य खराब हो गया और उन्हें केदारनाथ में ही एक अस्पताल में ले जाना पड़ा। केदारनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित समाज की मुख्य संस्था केदार सभा के आवाहन पर पिछले चार दिनों से आंदोलन चल रहा है। मंगलवार को भी खराब मौसम के बीच आंदोलन स्थल पर तंबुओं में दो तीर्थ पुरोहित आमरण अनशन पर डटे रहे। उन्होंने चेतावनी दी की मांग पूरी नहीं होने पर प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को रोक दिया जाएगा। *क्या है तीर्थ पुरोहितों की चार मांगे? केदार सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने कहा कि तीर्थ पुरोहित और व्यवसायी पिछले 10 साल से केदारनाथ आपदा की भेंट चढ़ गए भवनों ,दुकानों और भूमि का मालिकाना हक दिए जाने की मांग कर रहे हैं लेकिन इस पर उत्तराखंड सरकार का रवैया टालमटोल वाला रहा है। उन्होंने बताया कि जिन चार सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन किया जा रहा है उनमें मुख्य रूप से- 1- 2013 की आपदा में पूरी तरह बह गए भवनों के मालिकों को भूस्वामित्व के साथ नए भवन देने की मांग। 2- मंदिर के चबूतरे के निर्माण के लिए जिन परिवारों की भूमि अधिग्रहित की गई उन्हें प्राथमिकता के आधार पर भूस्वामित्व के साथ भवन दिए जाने की मांग। 3- जिन तीर्थ पुरोहितों के साथ अनुबंध के आधार पर भवन अधिग्रहण किया गया हो, उनके भवन जल्द तैयार कर भूस्वामित्व के साथ सौंपे जाने की मांग। 4- केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह में लगाए गए सोने की उच्च स्तरीय जांच की मांग शामिल है। *केदारनाथ में चल रही कार्यों को बंद करने की चेतावनी। तिवारी ने कहा कि केदारनाथ में चार दिन से आंदोलन चल रहा है। लेकिन सरकार का रवैया अभी भी उदासीनता से भरा हुआ है।
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