इस दौरान दर्जनों की संख्या में भोक्ति ढाक की थाप पर थिरकते हुए अपने शरीर के पीठ,हाथ,तथा जीभ में मोटे लोहे की कील चुभोकर लगभग तीस फीट ऊंचे खंभे में झुलते हुए भगवान शिव तथा मां पार्वती की आराधना करते हुए सुप्ती को ऊपर से जमीन पर खड़े भक्तों पर गिराया. इस चड़क पूजा में बड़े,बुजुर्ग ही नहीं बल्कि बच्चे भी अपने शरीर के कई भागों में कील को चुभोकर ऊंचे पोल पर झूलते हुए मां पार्वती तथा भगवान शिव की आराधना करते हुए अपने तथा क्षेत्र के लोगों के लिए सुख समृद्धि कि कामना की. चड़क पूजा को लेकर खेड़ाबेड़ा गांव में मेला सा दृश्य उत्पन्न हो गया था जहां विभिन्न प्रकार के दुकान के साथ ही बच्चों के लिए मिक्की माउस की व्यवस्था की गई

थी. वहीं चड़क पूजा को लेकर दूर दूर से लोग यहां पहुंचे थे तथा शिव मंदिर में भगवान शिव तथा मां पार्वती की पूजा अर्चना करते हुए मेले का भरपूर आनंद लिया. इस मौके पर चड़क पूजा समिति के कार्यकर्ता सह चैता पंचायत के पंचायत समिति सदस्य राम चंद्र ठाकुर ने बताया कि यह पूजा हमारे पूर्वज लगभग दो सौ वर्षों से करते आ रहे हैं,यह पूजा भगवान शिव तथा मां पार्वती को समर्पित है ।