ग्यारसपुर वन परीक्षेत्र के अंतर्गत कंपाउंड नंबर 102 अमखोई के जंगलों में अवैध रूप से बेशकीमती सागौन की लकड़ी एवं धौ की लकड़ी को काटा जा रहा था । गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बताया गया है कि अवैध रूप से जंगलों के बीचो बीच पहुंचकर ईट भट्टौ के लिए लकड़ी काटी जा रही थी । बताया गया है कि यह लकड़ी ट्रैक्टर ट्रॉली से देर रात को जंगल से निकलकर ईट भट्टों पर पहुंच जाती है । कहीं ना कहीं ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि वन विभाग की मिलीभगत से जंगलों को उजाड़ा जा रहा है । मौके पर वन विकास निगम के अधिकारी महेंद्र गौर एवं कर्मचारियों ने पहुंचकर पंचनामा तैयार किया । वहीं कटाई की सूचना वन विभाग को दी गई जिससे मौके पर डिप्टी रेंजर ओमप्रकाश शर्मा ने पहुंचकर कार्रवाई कर ग्यारसपुर रेंज परिसर लेकर आए ग्यारसपुर वन परिक्षेत्र अधिकारी मुस्कान शिवहरे से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया है कि । 3 लोगों के ऊपर वन अधिनियम की धारा 33 एक अवैध कटाई एवं मध्य प्रदेश लघु व्यापार अधिनियम की धारा 1969 की धाराएं लगाई गई । तीन लोगों के ऊपर जमानती धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया । मुनचले पर छोड़ भी दिया गया । ट्रैक्टर ट्राली जप्त कर प्रकरण तैयार किया गया । मौके पर लकड़ी काटने वाली मशीन एवं कुल्हाड़ी जब्त की है । वही इस संबंध में जब निगम के रेंजर विनोद तिवारी से बात की गई तो उन्होंने बताया है कि एरिया हमारे क्षेत्र में नहीं आता है। यह लकड़ी अवैध रूप से जंगल में काटी जा रही थी । हमारी कर्मचारियों ने पहुंचकर ट्रैक्टर को जप्त कर लिया है। मौके पर पहुंची मीडिया की टीम के द्वारा देखा कि पेड़ों को काटने वालों ने सागौन के वृक्षों को भी काटा गया था । परंतु कहीं ना कहीं वन विभाग की सांठगांठ के चलते जंगल से सागौन की लकड़ी को ट्रैक्टर में भरवा कर नहीं लेकर आए । केवल धौ की लकड़ियों को ही भरकर लेकर आए । कहीं ना कहीं पर विभाग अधिकारियों के द्वारा अवैध रूप से लकड़ी काटने वाले और ट्रैक्टर ट्राली वालों को बचाया जा रहा है । मीडिया के पास पूरी सागौन के वृक्षों की कटाई के वीडियोग्राफी एवं फोटोग्राफ्स है जो बता रहे हैं कि लकड़ी काटने वालो ने मशीन से अंधाधुध बेशकीमती सागौन के वृक्षों को भी काटा गया है । । रेंजर ने बताया है कि आगे की जो कार्रवाई होगी हमारे वरिष्ठ कार्यालय से होगी । आपको बता दें कि सोचने वाली बात है जंगल में बिना वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से परिंदा भी पर नहीं मार सकता । जिनके कंधों पर वन की रक्षा का दायित्व है ,वहीं अब भक्षक बन रहे हैं । और बड़े-बड़े सागौन एवं धो कै मोटे मोटे पेड अंधाधुध मशीनों से काटे जा रहे हैं । वही एक तरफ प्रदेश के मुखिया प्रतिदिन एक पेड़ लगाने की बात कर रहे हैं । दूसरी तरफ उनके ही शासन काल में उनकी अधीनस्थ अधिकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से प्राकृतिक जंगलों को उजाड़ा जा रहा है ।
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