कसडोल –  शिक्षा विभाग की उदासीनता कहे या संरक्षण विकाशखण्ड कसडोल के अंतर्गत विभिन्न स्कूलों में …

“””””विभाग की उदासीनता और संरक्षण में बच्चों की शिक्षा व्यवस्था के साथ हो रहा है खिलवाड़”””””” कसडोल- शिक्षा विभाग की उदासीनता कहे या संरक्षण विकाशखण्ड कसडोल के अंतर्गत विभिन्न स्कूलों में पदस्थ शिक्षक नियमित समय मे स्कूल नहीं पहुँच रहे है।और बाहुबली शिक्षको की कमी भी नहीं है जो अपने पहुंच और रुतबे के तेवर में शाला जाना तो दूर अपनी उपस्थिति रजिस्टर में डंके की चोट में कर आते हैं।किंतु इन सबसे जानकारी से उच्च अधिकारी हमेशा रटे हुए जुबान में अनभिज्ञता जाहिर करते हैं।इसलिए क्षेत्र में दिनों-दिन शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है जब गुरु ही शिक्षा का अलख जगाने से रुचि नहीं रखते हैं तो बच्चे कैसे पढ़ लिखकर आगे बढ़ेंगे?अपने समाज अपने परिवार और देश का कैसे नाम आगे बढ़ाएंगे बच्चों की शिक्षा ब्यवस्था के साथ हमेशा खिलवाड़ करते आ रहें हैं।शिक्षा विभाग द्वारा जारी नियमित समय का पालन नहीं कर रहे हैं, शिक्षक जहाँ समय में स्कूलों में पहुंचने के बजाय यत्र-यत्र घूमते नजर आ जाते हैं, जिससे उच्च अधिकारियों के मॉनिटरिंग पर सवालिया निशान लग रहा हैं। शासकीय नौकरी करने वाले शिक्षक स्वयं अपने बच्चों को मुख्यालय स्थित निजी विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कराने के नाम पर पदस्थ विद्यालयों के समीपस्थ पैतृक गांव होने के बावजूद विकासखंड मुख्यालय में निवासरत हैं और अपने बच्चों को पहले निजी विद्यालय में पहुंचाने के बाद ही अपने पदस्थ विद्यालयों में शिक्षण कार्य करने 20 -25 किलोमीटर का सफर तय करते हैं। फिर अपने बच्चों को उनके विद्यालयों से घर वापस लाने के लिए अध्यापनरत विद्यालयों से जल्दी आ भी जाते हैं।छत्तीसगढ़ शासन शिक्षा विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार शासकीय विद्यालयों में सुबह 9.45 को प्रार्थना के दौरान समस्त शिक्षकों का विद्यालय में उपस्थिति अनिवार्य है ,जबकि विकासखंड मुख्यालय में निवासरत शिक्षक 10 बजे के बाद भी नगर भ्रमण करते नजर आते हैं। विद्यालयीन समय में नगर में दिखे जाने पर उन शिक्षकों के संबंध में पूछे जाने पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में विद्यालय से सम्बंधित कार्य कराने का हवाला दिया जाता है।इस संबंध में बीईओ राधेलाल जायसवाल से जानकारी हेतु फोन से संपर्क किया तो फोन की घंटी जाता रहा लेकिन फोन रिसीव नहीं किया।

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