अगर सभी विस्थापित लोग एक मंच पर आकर अपनी आवाज उठाएं, तो उनके कल्याण की राह आसान हो सकती है। विस्थापितों के विभिन्न संघों को एकजुट होना पड़ेगा। केवल एकजुट होकर ही उनकी मांगों को सही तरीके से उठाया जा सकता है और उनका हक हासिल किया जा सकता है। जब तक वे अलग-अलग बंटे रहेंगे, तब तक उनकी

आवाज उतनी प्रभावी नहीं हो पाएगी। सभी विस्थापितों को समझना होगा कि उनके मुद्दों को सही तरीके से उठाने के लिए एक साझा मंच का होना जरूरी है। एकजुटता में ही ताकत है, और तभी वे अपने अधिकारों को हासिल करने में सफल हो सकते हैं।”