देवघर: बाबा बैद्यनाथ व पार्वती मंदिर का उतारा गया पंचशूल

देवघर: बाबा बैद्यनाथ व पार्वती मंदिर का उतारा गया पंचशूल


देवघर-उपायुक्त की निगरानी में उतारा गया बाबा बैद्यनाथ व पार्वती मंदिर का पंचसुल। बाबा मंदिर देवघर का उतारा गया पंचशूल 26 फरवरी को आयोजित होने वाली शिवरात्रि को लेकर मंदिर में तैयारी जोरों पर है। इसी को देखते हुए सोमवार को मंदिर में लगे सभी पंचशूलों को उतारा गया और अब विधिवत पूजा के साथ शिवरात्रि के दिन सभी पंचशूलों को पुनः मंदिर के गुंबदों पर लगाया जाएगा। इसको लेकर सोमवार को बैजू परिवार के लोगों ने मंदिर के ऊपर लगे पंचशूलों को खोलने का काम किया। सरदार पांडा के मौजूदगी में पंचशूल को खोलकर जब नीचे लाया गया तो नियमों के साथ उसे मंदिर के सुरक्षित स्थान पर रखा गया जहां पर इसकी विधिवत पूजा की जाएगी। बाबा मंदिर देवघर का उतारा गया पंचशूल महाशिवरात्रि के अवसर पर परंपरा के मुताबिक बाबा मंदिर के शिखर पर लगे पवित्र पंचशूल को उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी विशाल सागर की निगरानी में महाशिवरात्रि से पहले विधिवत उतारा गया पंचशूल। इस दौरान पंचशूल को स्पर्श करने के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। वहीं इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी मंदिर प्रांगण में किया गया था। विदित है कि पंचशुलों को कल एक बार फिर पूजा पाठ कर मंदिरों के शिखर पर लगाया जाएगा और तब जाकर गठबंधन का रिवाज हो सकेगा।

इसके अलावा इस दौरान मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए उपायुक्त विशाल सागर ने कहा कि महाशिवरात्रि को लेकर बाबा मंदिर, शिवगंगा, मंदिर के आसपास के क्षेत्रों के अलावे शिव बारात रुट लाइन में श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इसके अलावे देवघर शहर के साथ महाशिवरात्रि को लेकर मंदिर की साफ-सफाई, साज-सज्जा और सजावट का काम भी विशेष रूप से किया जायेगा। ज्ञातव्य है कि महाशिवरात्रि के ठीक दो दिन पहले साल में एक बार बाबा मंदिर और पार्वती मंदिर के शीर्ष पर स्थित पंचशूल को विधिवत उतारा जाता है एवं इस अलौकिक क्षण के गवाह बनने हजारों भक्तों की भीड़ मंदिर परिसर में उमड़ पड़ती है। पंचशूल उतारने के बाद महाशिवरात्रि से पूर्व कोई भी भक्त गठबंधन नहीं कर सकते हैं। माता पार्वती और महादेव के गुंबदों पर लगे दोनों पंचशुलों को उतारने के बाद पहले आपस में मिलाया जाता है और एक साथ रखा जाता है एवं यह अलौकिक दृश्य व परम्परा सिर्फ बैद्यनाथ धाम मंदिर में ही देखने को मिलता है एवं इस मौके पर हर कोई की इच्छा होती है कि वह एक बार इन पंचशुलों का दर्शन कर लें। इसलिए इस अवसर पर मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ भी उमड़ती है। मौके पर तीर्थ पुरोहित के साथ काफी संख्या में स्थानीय लोग व श्रद्धालु उपस्थित थें।

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