सरस्वती शिशु विद्या मंदिर उच्च विद्यालय बाबू गांव कोर्रा में विदाई समारोह आयोजित कर कक्षा दशम के भैया- बहनों को विदाई दी गई। सर्वप्रथम अभिभावक गंगाधर दुबे, प्रधानाचार्य मनोज कुमार सिंह, सह सचिव अनुप कुमार सिंह, सदस्य महेंद्र राम, नगेन्द्र शर्मा एवं प्रभारी राजकुमार सिंह ने संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्ज्वलित कर एवं भारत माता, ओम तथा मां शारदे के चित्रों पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की ।प्रधानाचार्य मनोज कुमार सिंह ने आगुंतक अतिथियो का परिचय कराया। कक्षा नवम् की बहनों ने स्वागत गीत के द्वारा आगुंतक अतिथियो तथा दशम के भैया बहनों का स्वागत किया। मुख्यातिथि गंगाधर दुबे ने भैया -बहनों को आशीर्वचन में कहां कि परीक्षा टेंशन देने वाली चीज नहीं है और परीक्षा को कभी भी टेंशन नहीं समझना चाहिए। एकदम फ्री माइंड में रहकर इसकी तैयारी करनी चाहिए अगर तैयारी नहीं रहेगी तो तनाव होगी ही इसलिए भैया बहनों को परीक्षा की तैयारी पहले से ही कर लेनी चाहिए और परीक्षा वाला दिन फ्री माइंड रहना चाहिए। अगर कोई समस्या हो तो उसका समाधान आचार्य से मिलकर कर लेनी चाहिए। बहन अमिषारानी ने अपने अनुभव कथन ने कहा कि जिस समय मैं विद्यालय आई थी उस समय अपने आप को अकेला समझ रही थी। यहां आने पर मैंने अनुभव किया कि यहां के आचार्यों ने हमेशा हमारा सपोर्ट किया और मुझे कभी अकेला नहीं रहने दिया। उसने आगे कहा कि आचार्य और विद्यार्थियों के बीच आपसी सहयोग की भावना होनी चाहिए। आचार्यों का आदर करना भैया बहनों का कर्तव्य है। हमें अपने गुरुजनों और माता पिता का हमेशा सम्मान करना चाहिए। प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य महेंद्र राम ने अपने संबोधन में कहा कि हमें अपने लक्ष्य को लेकर पढ़ाई करनी चाहिए। शिक्षा तो जीवन भर चलती रहती है। लेकिन हम जीवन यापन करने तक की ही शिक्षा ग्रहण करते हैं। हमें कठिन परिश्रम करके शिक्षा प्राप्त करनी

चाहिए। सह सचिव अनूप कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि विद्या मंदिर का उद्देश एवं लक्ष्य संस्कारों से भरा है। यहां माता पिता एवं गुरुजनों के प्रति सम्मान करने का संस्कार सिखाया जाता है। यहां देश के प्रति त्याग और बलिदान की भावना जगाई जाती है तथा किताबी ज्ञान की शिक्षा दी जाती है। भैया बहनों को अन्य विद्यालय के छात्रों को भी संस्कार की शिक्षा देनी चाहिए ।जब हम शिक्षक बनेंगे तो अपने विद्यालय में भी भैया बहनों को संस्कार की शिक्षा देंगें। जब हम प्रशासनिक अधिकारी बनकर गरीबों की सहायता करेंगे तो वही संस्कार हमारे उद्देश्यों को पूरा करेगा। समिति सदस्य नगेंद्र शर्मा अपने संबोधन में कहा कि विदाई बहुत ही भावुक शब्द है लेकिन विदाई प्रकृति का नियम है यहां जो भी आया है ,जिस क्षेत्र में भी है उसे एक न एक दिन विदा होकर जाना ही पड़ता है। आचार्य भैया -बहनों को सुनार की तरह गढ़ने का काम करते हैं । हमें शिक्षकों से कुछ सीखना ही चाहिए। बच्चे देश के भविष्य हैं और विद्या मंदिर शिक्षा के साथ संस्कार की भी शिक्षा देता है ।अपने राह पर तो सभी चलते हैं लेकिन 75 प्रतिशत पहले चरण में ही राह से हट जाते हैं।25 प्रतिशत तैयारी करते हैं और केवल 10% ही अपनी लक्ष्य को प्राप्त करते हैं ।प्रधानाचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि हमें कभी भी अपनी पढ़ाई से संतुष्ट नहीं होना चाहिए अगर हमें मजबूत घर बनाना है तो नीव भी मजबूत होना चाहिए। इस अवसर पर विद्यालय का प्री बोर्ड का परीक्षाफल भी प्रकाशित किया गया। जिसमें बहन अमीषा रानी का 91.4%अंक लाकर प्रथम, भैया रौनक कुमार 82.2%लाकर द्वितीय एवं भैया राजुकुमार 75.6%अंक प्राप्त कर तृतीय स्थान प्राप्त किया। धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के आचार्य शिव शरण ठाकुर ने दिया तथा मंच संचालन नवम् की बहन स्वेता कुमारी ने किया । यह कार्यक्रम नवम की कक्षाचार्या अल्पना सिन्हा के नेतृत्व में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में विद्यालय के आचार्य बंधु -भगिनी कर्मचारीगण एवं कक्षा नवम तथा दशम के भैया -बहन उपस्थित थे।