
प्रभु यीशु ने दुनिया को प्रेम, दया, क्षमा व शांति का दिया संदेश करीब दो हजार वर्ष पूर्व यहुदिया के बेथलेहम नगर में माता मरियम व पालक पिता संत जोसेफ के घर प्रभु यीशु का जन्म हुआ था. प्रभु यीशु के जन्मोत्सव को ही मसीही समाज क्रिसमस यानी बड़ा दिन के रुप में मनाते हैं. प्रभु यीशु हमारे मुक्तिदाता हैं और मानव समाज को पाप से मुक्ति दिलाने के लिये परम पिता परमेश्वर ने उन्हें धरती पर भेजा. क्रिसमस ट्री यानी जीवन वृक्ष का महत्व क्रिसमस में चरनी की अपनी अलग पहचान है. प्रभु यीशु का जन्म बेथलेहम नगर में माता मरियम के घर गौशाला में हुआ था. गौशाला में जन्म के स्मरण में मसीही समुदाय अपने घरों व गिरजाघरों में चरनी का निर्माण करते हें और वहां प्रभु यीशु के बाल्यवस्था का चित्रण करने के साथ माता मरियम, पालक पिता जोसेफ व गडेरिये का चित्रण कर उन्हें याद करते हैं. ईश्वर पुत्र के आगमन का संदेश देता है चमकीला तारा क्रिसमस में मसीही समुदाय के लोग अपने घरों, गिरजाघरों च चरनी के पास चमकीला तारा सजाते हैं. बताया जाता है कि परम पिता परमेश्वर ने सर्वप्रथम स्वर्ण दूत को धरती पर भेजकर प्रभु यीशु के धरती पर आगमन कास संदेश दिया. जब प्रभु यीशु का जन्म हुआ तो आसमान में स्वर्ग दूत चमकीला तारा के रुप में चमक रहा था. इस निहित मसीही समुदाय के लोग क्रिसमस के मौके पर घर-आंगनव गिरजाघरों में चमकीला तारा बनाकर सजाते हैं. क्रिसमस में उपहार बांटने आते हैं सांता क्लॉज प्रभु यीशु के जन्मोत्सव की खुशी में सांता क्लॉज द्वारा बच्चों के बीच चॉकलेट व उपहार बांटने की परंपरा है. सांता क्लॉ यानी संत निकोलस के बारे में अलग अलग कहानियां है. लेकिन सांता क्लॉज गिव इन गिफ्ट के रुप में चर्चित हैं. क्रिसमस के मौके पर मसीही समुदाय के सांता क्लॉज के वेश में बच्चों को उपहार बांटते हैं. क्रिसमस को ले मसीही समुदाय में हर्ष व उल्लास का माहौल रहा. मंगलवार रात 12 बजते ही प्रभु यीशु के जन्मोत्सव को ले गिरजाघरों की घंटियां बजने लगी. जिंगल बेल…जिंगल बेल…जिंगल ऑल द वे….की धून के साथ आतिशबाजी शुरू हो गयी. चमकीला तारा, चरनी और क्रिसमस ट्री के बीच सांता क्लॉज के वेश में मसीही समुदाय के लोग बच्चों के साथ खुशियां मनाते नजर आये. प्रस्तुत है सहयोगी संदीप दत्ता के साथ पंकज सिन्हा की रिपोर्ट धनबाद से।