शिक्षा का उद्देश्य हृदय को जागृत करना होना चाहिए। हृदय जागृत होगी तो मानवीय मूल्य विकसित होंगे। इससे दया, प्रेम और करुणा जागेगी। इस अवस्था को जिसने प्राप्त कर लिया उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। उक्त बातें रांची विश्वविद्यालय से आए प्रोफेसर प्रकाश सहाय ने सोमवार को कहीं। वह कलाभवन के राजनीति विज्ञान विभाग मे व्याख्यान दे रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ सुकल्याण मोइत्रा ने की। वह विद्यार्थियों को किसी भी विषय को देखने के लिए मौलिक दृष्टिकोण अपनाने की बात बता रहे थे। जो सब कह रहे हैं उसी को तोता के जैसा कहते नहीं रहना है। किसी को खुश करने के लिए या किसी राजनीतिक लाभ के लिए किसी गलत बात को रटते नहीं रहना है। इससे अपना पतन होगा। उदाहरण स्वरूप उन्होंने कहा कि आज भ्रष्टाचार का सामान्य अर्थ आर्थिक भ्रष्टाचार तक सीमित हो गया है। लेकिन सामाजिक और सांस्कृतिक भ्रष्टाचार और भी खतरनाक है।

परिवारों का टूटना और वृद्धाश्रमों की स्थापना का उन्होंने इस संबंध में जिक्र किया। उन्होंने आगे कहा कि हमें यह समझना है कि महंगाई बढ़ी है या हमारे में बाजारवाद बढ़ा है? प्रोफेसर सहाय ने कहा कि आज सब को संगीत और साहित्य की शिक्षा देनी चाहिए। इसके बिना कोई भी शिक्षा अधूरी है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में आकर्षण भी बढ़ेगा। उन्होंने वैसे विषयों की चर्चा की जो अमूमन विद्यार्थियों को कभी बताया नहीं जाता है। पढ़ाई के संबंध में बताते हुए उन्होंने कहा कि किसी विषय के कब-क्यों-कैसे को जाने। कभी भीड़ ना बने। हमेशा भीड़ से अलग रहे। इस पर उन्होंने यह भी बताया कि उनकी बेटी और हजारीबाग की उपायुक्त श्रीमती नैंसी सहाय ने आइ ए एस परीक्षा की तैयारी कैसे की। व्याख्यान के अंत में उन्होंने अपने विषय से संबंधित अलग-अलग गीत की कुछ पंक्तियों को गा के सुनाया। विद्यार्थियों ने तालियां बजाकर उनके व्याख्यान को खूब सराहा। इस अवसर पर विभाग की ओर से डॉ प्रमोद कुमार के स्वर्गीय दादा, बाबू राम नारायण सिंह द्वारा लिखित पुस्तक प्रोफेसर सहाय को भेंट की गई। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रमोद कुमार तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ अजय बहादुर सिंह ने किया। इस अवसर पर मानव विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ विनोद रंजन, शिक्षा शास्त्र विभाग के डॉ मृत्युंजय प्रसाद, डॉ पीके सिंह, प्राध्यापक विजय कुजूर के अलावे राजनीति विज्ञान, मानवविज्ञान और दर्शनशास्त्र विभाग के विद्यार्थी अच्छी संख्या में उपस्थित थे।