बिहार सरकार द्वारा विभिन्न माध्यमों से किसानों के धान की खरीदारी करवा रही है। उसके एवज में अरवा और उसीना दोनों चावल उन पैक्स गोदाम से लिया जा रहा है। इसी क्रम में उसीना प्लांट के कैमूर जिला के 22 मिल मालिकों ने मोहनिया के एक निजी होटल में बैठक किया । सभी ने एक स्वर में कहा 1947 के समय जो मिलिंग कास्ट सरकार ने रखा था वही मीलींग कॉस्ट पर आज भी सरकार काम कराना चाहती है। कई बार विभाग को पत्राचार किया गया और बताया गया आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला । कास्ट आज तक नहीं बढ़ाया गया। हम लोगों की मांग है कि डेढ़ सौ रुपया मिलिंग कास्ट प्रति क्विंटल मिलना चाहिए नहीं तो इस बार हम लोग एग्रीमेंट सरकार से नहीं करेंगे। जिसको लेकर हम लोग कैमूर जिला से लेकर पटना के मंत्री और सरकार को सूचित कर रहे हैं ।

मिल मालिक पंकज कुमार, नारद सिंह और मनोज कुमार पांडे ने बताया हम लोग पुराने मिलिंग दर पर सरकार को उसीना चावल की कुटाई करते आ रहे हैं जो की हम लोगों को मंजूर नहीं है। जिसको लेकर कैमूर जिले के सभी 22 उसिना प्लांट के मिल मालिकों ने बैठक किया है। सबका यही कहना है कि अगर सरकार इस बार हम लोगों को प्रति क्विंटल उसीना चावल की कुटाई अगर 150 रुपया नहीं करती है तब तक हम लोग अपना एग्रीमेंट सरकार से नहीं करेंगे और उसीना चावल सरकार के लिए नहीं कूटेंगे । अन्य राज्यों में मिल मालिकों को सरकार प्रोत्साहन देती है लेकिन बिहार में ऐसा नहीं है। जो दर फिलहाल मिल रहा है वह 1947 से जो बना है वही मानक के अनुरूप दिया जाता है। वह भी हमलोगों के खाते में ना भेज कर पैक्स के खाते में भेजा जाता है। उस समय के अपेक्षा अभी बिजली कास्ट और मजदूरी दोनों बढ़ गया है। हम लोगों की मांग है कि जो भी राशि हो वह हम लोगों के खाते में आए । हम लोग पहले भी कैमूर के पदाधिकारी और एमडी को सूचना दे चुके हैं। उनके द्वारा आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला है। जब तक सरकार मिलिंग कास्ट नहीं बढ़ाएगी तब तक हम लोग उसीना चावल का कुटाई के लिए एग्रीमेंट नहीं करेंगे।