यह वीडियो महाराजगंज का है, जहां एक लेखपाल खुलेआम रिश्वत लेता हुआ नजर आ रहा है। इस वीडियो में, लेखपाल एक व्यक्ति से पैसे ले रहा है और खुद को पूरी तरह से बेखौफ दिखा रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि वह व्यक्ति, जो रिश्वत दे रहा है, वही वीडियो भी बना रहा है।यह वीडियो दिखाता है कि रिश्वत देने वाला व्यक्ति खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश कर रहा है, जबकि लेखपाल बेशर्मी से पैसे ले रहा है और बिना किसी डर के अपनी हंसी उड़ाता है।यह घटना हमें याद दिलाती है कि भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का मामला सिर्फ छोटे स्तर तक सीमित नहीं है। लेखपालों की यह जिद और बेशर्मी दिखाती है कि सिस्टम के अंदर उनकी पकड़ कितनी मजबूत है। यहां तक कि बड़े अफसर भी इनसे डरते हैं और इनके आगे मजबूर हैं।चाहे शासन योगी का हो या मोदी का, यह सवाल उठता है कि आखिर क्यों प्रशासनिक सुधार और जीरो टॉलरेंस की नीतियां भ्रष्टाचार को रोकने में नाकाम रही हैं।

कई बार बड़े अफसरों ने लेखपालों के खिलाफ कार्रवाई करने का दावा किया, लेकिन इस पर कभी भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। आश्चर्य की बात यह है कि जो अधिकारी इस व्यवस्था को सुधारने का दावा करते हैं, वे खुद लेखपालों के सामने नतमस्तक होते हैं। यह भ्रष्टाचार के माहौल को और भी मजबूत करता है।इन लेखपालों के सामने किसी की नहीं चलती। इनकी चार लाइनें किसी के लिए भी भारी पड़ सकती हैं। एक बार अगर इनसे पंगा लिया, तो पूरी जिंदगी का काम मुश्किल हो सकता है।यह रिश्वतखोरी का मामला सिर्फ एक व्यक्ति या एक विभाग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सिस्टम की एक बड़ी गहरी समस्या को उजागर करता है। लेकिन याद रखें, रिश्वत लेना और देना दोनों ही अपराध हैं।