केरेडारी बुंडू आजादी के लगभग 73 वर्ष बीत जाने तथा झारखंड राज्य अलग होने के लगभग 22 वर्ष का सफर गुजर जाने के बाद भी हजारीबाग जिला के केरेडारी प्रखंड अंतर्गत बुंडू पंचायत बटुका ग्राम के हल्दी कोचा टोला आज भी विकास के किरणों से काफी दूर है। आलम यह है कि गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नाम की कोई सुविधा नहीं है। गांव के लोग अपने घरों तक पहुंचने के लिए श्रमदान से प्रत्येक वर्ष सड़क का निर्माण करते हैं । तब गांव पहुंच पाते हैं । गांव के लोगों ने बताया कि हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद जयंत सिंहा तथा बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद को कई बार इस समस्या से अवगत कराया गया लेकिन आश्वासन के सिवा आज तक ग्रामीणों को कोई हाथ नहीं लगा। ग्रामीण दर्द को बयां करते हुए बताते हैं कि साइकिल या बाइक कोई वाहन को गांव तक ले जाने के लिए किसी प्रकार के रास्ते नहीं है। हर वर्ष सभी ग्रामीण मिलकर पंचायत के सड़क सालिया डोंगरी और हल्दी कोचा को जोड़ने वाले रास्ते के बीच में पड़ने वाले नाले को ग्रामीणों ने श्रमदान कर बनाते रहे हैं। पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने इस समस्या की ओर कभी ध्यान नहीं दिया । सरकार नुमाइंदे या सरकार में बैठे लोग विकास के नाम पर बड़े-बड़े डींग हांकते है लेकिन जमीनी हकीकत और ही कुछ है ।अगर वह हकीकत जानना है तो केरेडारी प्रखंड के बुंडू पंचायत का हल्दी कोचा टोला पहुंच कर देखा जा सकता है ।ग्रामीण घरेलू काम करने के बाद समय निकालकर सड़क बनाने का काम करते हैं। मंगलवार को ग्रामीण एकत्र होकर गैता कुदाल बेलचा तथा भरूवे के सहारे सड़क का निर्माण कर रहे थे कुछ देर काम करने के बाद इंद्र देवता बरसने लगे काम बाधित हो गया। ग्रामीणों ने निर्णय लिया कि अगले दिन से फिर काम में लगा जाएगा । हल्दी कोचा टोला आदिवासी बहुल टोला है राज्य सरकार आदिवासियों के विकास के बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन दावा खोखला साबित हो रहा है हल्दी कोचा टोला के जिन ग्रामीणों ने सड़क निर्माण में श्रमदान में अपना योगदान दे रहे हैं। वह मुख्य रूप से समीत तिर्की, रोशन तिर्की,बिमल कोनगाड़ी, रॉयल इंजन निरल कौन गाड़ी सलीम सुरीन, सुरजन बाडिंग, मनुवेल कोनगाड़ी, सुमन टोपनो ,बिलीयम कोनगाड़ी,सकीरा तिग्गा, दयामणि लुगुन मरसेल टोपनो सेबयन लुगुन,अजीत लुगुन,दास जाजा,मुकूट तिर्की,फिलमोन तिर्की सहित अन्य लोग शामिल हैं।
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