झाझा प्रखंड के तितोचक गांव में बन रहे उत्क्रमित 10+2 हाई स्कूल भवन निर्माण कार्य में लापरवाही और अनियमितताओं का सिलसिला जारी है। यह तीन मंजिला भवन, लगभग 3. करोड़87 लाख रुपये की लागत से बनाया जा रहा है, जिसकी आधारशिला झाझा विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री दामोदर रावत ने रखी थी। लेकिन निर्माण कार्य में जो गुणवत्ता होनी चाहिए, उसका पालन नहीं हो रहा है, जिससे विकास कार्यों में लूट का आरोप लग रहा है। घटिया सामग्री का उपयोग : स्थानीय लोगों के अनुसार, भवन निर्माण में उपयोग हो रही सामग्रियों की गुणवत्ता बेहद खराब है। मिश्रण में मिलावट: सीमेंट और रेत का मिश्रण घटिया किस्म का बताया जा रहा है, जिससे भवन की मजबूती पर सवाल उठ रहे हैं। छड़ का सीमित उपयोग: तीन मंजिला भवन होने के बावजूद 12 एमएम की छड़ का उपयोग किया जा रहा है, जो इस ऊँचाई के भवन के लिए पर्याप्त नहीं माना जाता। ईंटों का कमतर स्तर: निर्माण में बंगाल की निम्न-स्तरीय ईंटें लगाई जा रही हैं, जो भवन की मजबूती के लिए उचित नहीं हैं। इंजीनियर की अनुपस्थिति और लापरवाही का आलम : निर्माण कार्य की देखरेख के लिए आवश्यक इंजीनियर कई दिनों से स्थल पर मौजूद नहीं हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि भवन का निर्माण बिना किसी देखरेख के ही हो रहा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि इंजीनियर ऑफिस से ही संजय की तरह निगरानी कर रहे हैं, जिससे कार्य में गंभीर अनियमितताएं आ रही हैं। विरोध करने पर ग्रामीणों से बदसलूकी : स्थानीय लोगों ने जब इन अनियमितताओं पर सवाल उठाए और काम की गुणवत्ता को लेकर विरोध किया, तो ठेकेदार के मुंशी ने न केवल ग्रामीणों से बदसलूकी की, बल्कि कुछ लोगों से मारपीट भी की। पत्रकारों से भी अभद्र भाषा में बात की गई, जो स्पष्ट करता है कि विरोध को दबाने की कोशिश की जा रही है। पुलिस हस्तक्षेप और राजनीतिक दबाव : घटना के बाद, ग्रामीणों ने पुलिस को फोन किया, जिसके बाद मुंशी को झाझा थाना ले जाया गया। लेकिन जल्द ही स्थानीय अधिकारियों और ठेकेदारों के फोन आने लगे और मुंशी को छोड़ने का दबाव बना। इससे यह संदेह और गहरा हो गया कि निर्माण कार्य में बड़े स्तर पर राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव है। विकास में लूट का सिलसिला : स्थानीय लोगों ने इस निर्माण कार्य को ‘विकास की लूट’ कहा है, जो घटिया निर्माण सामग्री, अनुचित देखरेख और गुणवत्ता की अनदेखी से उजागर होती है। ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि इस मामले की जाँच हो और निर्माण में हो रही अनियमितताओं पर तुरंत कार्रवाई की जाए, ताकि बच्चों और अन्य उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा को खतरे में न डाला जाए।