सूचना भवन के सभागार में हुई बैठक में ग्रामीण विकास विभाग के संकल्प पर चर्चा की गई। बताया गया कि ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत संचालित योजनाओं के लिए जिला ग्रामीण विकास शाखा के गठन की स्वीकृति दी गई है। सूचना भवन सभागार में जिला परिषद की हुई बैठक में डीआरडीए का जिला परिषद में विलय का निर्णय लिया गया है। केंद्र प्रायोजित डीआरडीए प्रशासन योजना के बंद होने तथा पंचायती राज अधिनियम 2001 की धारा 77 ख के आलोक में विलय का यह निर्णय लिया गया है। इस बात की घोषणा जिला परिषद अध्यक्ष श्रीमती जुली खिष्टमनी हेम्ब्रम ने की। बताया गया कि ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत संचालित योजनाओं के लिए जिला ग्रामीण विकास शाखा के गठन की स्वीकृति दी गयी है। बता दें कि डीआरडीए की स्थापना वर्ष 1980 में हुई। उस समय कई केंद्रीय योजनाओं का संचालन डीआरडीए के माध्यम से किया जाता था। इन योजनाओं के संचालन हेतु डीआरडीए में तृतीय व चतुर्थ वर्ग के पदों में नियुक्ति भी की गयी। लेकिन राज्य सरकार के निर्णय के आलोक में डीआरडीए को विघटित कर दिया गया। डीआरडीए प्रशासन के सभी अस्थायी कर्मी अब जिला परिषद में समाहित हो जायेंगे। समाहित किये जाने वाले कर्मियों एवं पदाधिकारी के लिए जिला परिषद में सरकार द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुरूप वेतन भुगतान किया जायेगा। जिले में डीआरडीए में छः कर्मी एक पदाधिकारी पदस्थापित थे। जिला परिषद में विलय के साथ ही इन कर्मियों एवं पदाधिकारी को जिला परिषद में ले लिया गया है। अब जिला परिषद में इन्हें काम पर लगाया जायेगा। बताया गया कि डीआरडीए में सृजित पदों के विरूद्ध कार्यरत कर्मियों एवं पदाधिकारी की सेवा समाप्त नहीं की जायेगी। उन्हें उसी रूप में जिला परिषद के अंतर्गत कोषांग में पदस्थापित किया जायेगा। मौके पर उप विकास आयुक्त महेश कुमार संथालिया, जिला परिषद उपाध्यक्ष अशोक कुमार भगत, सांसद प्रतिनिधि श्याम यादव, महेशपुर/पाकुड़ विधायक प्रतिनिधि समेत अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
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