बिहार उत्तरप्रदेश की सीमा पर जिला मुख्यालय से करीब 4 किमी. की दूर बक्सर के गंगा नदी के उत्तरी तट पर स्थित मां मंगला भवानी का प्राचीन मंदिर सदियाें से श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धा का केंद्र है। माँ देवी के नव स्वरूपम में एक माता मंगला गौरी का प्रकाट्य स्थल शक्तिपीठ नवरात्र में मां दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। उत्तरप्रदेश के बलिया जनपद में सोहांव विकास खंड के नसीरपुर मठ ग्रामसभा के अंतर्गत गंगा किनारे मां मंगला भवानी का सदियों पुराना मंदिर है। बलिया जिले के जिलाधिकारी रहे हरिसेवक राम द्वारा लिखित पुस्तक बलिया एक दृष्टि में पर विश्वास करें तो इस मंदिर का उल्लेख छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत आए चीनी यात्री ह्नेनसांग ने पटना जाते समय अपनी यात्रा डायरी में किया था। संवत 1876 में उत्तरप्रदेश राज्य स्थापना पूर्व बिहार उड़ीसा बंगाल मुनिसबल कस्बा बलिया की जगह गाजीपुर जिला था। उस समय यह स्थान कोरंटाडीह तहसील में निर्माण कार्य के दौरान एक अंग्रेज अधिकारी ने मां मंगला भवानी के रूप में पूजे जा रहे देवी प्रतिमा को उखड़वाकर गंगा नदी में फेंकवा दिया। माँ मंगला गौरी गंगा नदी के गर्भ से स्त्री स्वरूप प्रकट हो कर आग शील पथर के रूप में विद्यमान हैं । शक्तिपीठ स्थल के पुजारी घराना के आचार्य पं शुभ चितक पाण्डेय और प्रन्यचार्य श्याम बिहारी पाण्डेय जी महाराज शक्ति पीठ मन्दिर की महत्ता बताते हैं । किदवंती कथा में लोग कहते हैं उसके बाद उसके बड़े बेटे का निधन हो गया और उसके अस्तबल के घोड़े मरने लगे। एक रात उसे सपना दिखा कि देवी प्रतिमा को तत्काल निकलवाकर नियत स्थान पर स्थापित करवाएं नहीं तो उसका सर्वनाश हो जाएगा। इसपर अधिकारी ने तत्काल उजियार गांव के दरागाही यादव से प्रतिमा को निकलवा कर उसके स्थान पर स्थापित करवाया। इसके बाद से अंग्रेज अधिकारी इस हालात से उबर पाया था।
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