कोल कंपनी के खिलाफ ग्रामीणों का धरना: हजारीबाग में भूमि अधिग्रहण का मामला

कोल कंपनी के खिलाफ ग्रामीणों का धरना: हजारीबाग में भूमि अधिग्रहण का मामला

हजारीबाग के बड़कागांव केरेडारी प्रखंड अंतर्गत पकरी बरवाडीह, चट्टी बरियातू,चतरा के टंडवा सहित कई स्थानों से कोयले की अपार उत्खनन किया जा रहा है। यहां किसानो की जमीन का उचित मुआवजा न मिलकर भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का धज्जिया उड़ाया जा रह है। जबकि इस अधिनियम के तहत दो फसली तीन फसली जमीन का अधिग्रहण नही करना है। उपजाऊ जमीन का किसी प्रकार के अधिग्रहण नही करना है। गोंदलपूरा कोल ब्लॉक जो आडनी इंटरप्राइजेज को दिया गया है। इसके खिलाफ स्थानीय ग्रामीणों द्वारा 17 महीने से कोल ब्लॉक रद्द करने के लिए ग्रामीण धरना दे रहे हैं। उसके बाद भी जिला प्रशासन और राज्य सरकार की कोई ध्यान इस पर नहीं है। भूस्वामीयो की समस्या को देखते हुए हजारीबाग के पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने मुख्यमंत्री से मिलकर एक पत्र भी दिया कि गोंदलपुरा में अडानी कोल इंटरप्राइजेज की विरोध मे दिए जा रहे धरना को जल्द समाप्त किया जाए, और किसानो की मांग को पूरा किया जाए। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं कर भूमि अधिग्रहण लगातार जारी है। एनटीपीसी का चट्टी बारीयातु , पकरी बरवाडीह केरेडारी में कोयला उत्पादन का कार्य चालू है। चट्टी बारीयातु मे तो एनटीपीसी द्वारा कई साल से कोयला निकाला जा रहा। जमीन अधिग्रहण कर नदी तालाब एवं सरकारी जमीन से भी कोयला निकाला जा रहा है। पर्यावरण को प्रदूषित करते हुए नष्ट किया जा रहा है। कुछ गांव के लोगों को जमीन के बदले नौकरी दी गई है। जिसकी न्यूनतम मजदूरी एक मामूली मजदूर से भी कम भुगतान किया जा रहा है। स्थानीय ग्रामीण विस्थापित होकर रोजगार की तलाश में दूसरे जगह जा रहे हैं। वहीं इन कोल कंपनी द्वारा रोजगार न देकर बाहरी राज्य से लोगों को लाकर काम लिया जा रहा।

ग्रामीणों के विरोध करने पर लाठीचार्ज कर उन्हें झूठा केस मुकदमा में फंसाई जा रही है।यही हालत एनटीपीसी के चट्टी बारीयातु, पकरी बरवाडीह में भी गांव के चंद बिचौलिए दलाल किस्म के लोग किसानों एवं विस्थापित की जमीन को अधिग्रहण करवाने का काम करते हुए मजदूर विस्थापितों का शोषण कर रहे है। केरेडारी में कोल इंडिया का चंद्रगुप्त परियोजना पचडा मे खुलने वाला है। जहां बहुत स्वामियों की जमीन का मुआवजा मात्र 9 लाख रुपया प्रति एकड़ ही दिया जा रहा है। जबकि कोल इंडिया का ही ईसीएल में 55 लाख रुपए प्रति एकड़ और बीसीसीएल में 45 लाख रुपए प्रति एकड़ जमीन का मुआवजा भुगतान किया गया। यही हाल एनटीपीसी के बादम में झारखंड सरकार के द्वारा 98 एकड़ जमीन का स्थानांतरण किया गया। इसके एवज में 44 करोड़ रुपया जमा किया गया। जो 45 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से है।इस प्रकार एनटीपीसी की कोल इंडिया एवं पब्लिक सेक्टर की कंपनियों द्वारा भूस्वामी का शोषण के खिलाफ सीपीआई एवं झारखंड विस्थापित राज्य मोर्चा संघर्ष कर रही है, और आगे भी अनवरत संघर्ष करते रहेगी। अभी तक राज्य सरकार न तो विस्थापन नीति बनाई न विस्थापन आयोग, स्थानीय नियोजन नीति का भी गठन नहीं किया। वहीं बडी गाडीयो का आवागमन होने से प्रतिदिन कहीं ना कहीं घटना दुर्घटना होते रहती है। उसका उचित मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है । इस संबंध में हजारीबाग के पूर्व सांसद सीपीआई के वरिष्ठ नेता झारखंड विस्थापित मोर्चा के अध्यक्ष भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने प्रेस वार्ता कर कहा। पंकज सिन्हा की रिपोर्ट हजारी बाग से

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