वर्ष 2014 में शुरू किए गए मेक इन इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग, निवेश, इनोवेशन और कौशल विकास को बढ़ावा देना था। हालांकि इसे अपेक्षित गति नहीं मिली, लेकिन महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। पिछले 10 वर्षों में 667.4 अरब डॉलर का एफडीआई आया, जो पिछले दशक की तुलना में 119% अधिक है।
भारत का वस्तु निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 में 400 अरब डॉलर से अधिक हो गया, और सेरामिक व खिलौनों जैसे क्षेत्रों में भारत आयातक से निर्यातक बन गया। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ी है, और भारत अब बुलेटप्रूफ जैकेट जैसी चीजों का निर्यातक बन चुका है। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स, और फार्मा सेक्टर में बड़े निर्माण कार्य हो रहे हैं, जिसमें एप्पल और माइक्रोन जैसी कंपनियां शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि 10 साल पहले देश में केवल 2 मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट थीं, जो अब 200 से अधिक हो गई हैं। मोबाइल निर्यात में भी 7500% का इजाफा हुआ है, जिससे भारत मोबाइल निर्माण में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।