आसनसोल नगर निगम के पूर्व मेयर एवं भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से यह घोषणा की कि आने वाली 15 दिसंबर को कोलकाता के धर्मतल्ला में बड़ी जमात की योजना की जा रही है जहां भाषाई अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए एक बहुत बड़े समावेश का आयोजन किया जाएगा। इसको लेकर पुलिस प्रशासन को बता दिया गया है। पूर्व जितेंद्र तिवारी ने कहा कि 2011 में पश्चिम बंगाल की जब तृणमूल की नई सरकार बनी थी तृणमूल की तब 6 भाषाओं को भाषाई अल्पसंख्यक की मान्यता दी गई थी तब लोगों को उम्मीद थी कि इन भाषाओं को पढ़ने वाले इन भाषाओं को चर्चा करने वाले लोगों को लाभ मिलेगा शायद सरकार कुछ करेगी इतने बरस बीत गए भाषाई अल्पसंख्यक लोगों के प्रति तृणमूल सरकार उदासीन नज़र आई है।
राज्य सरकार द्वारा इन भाषाओं में सरकारी परीक्षा देने के अवसर को खत्म कर दिया गया। जितेंद्र तिवारी ने कहा कि इसके लिए सरकार से यह अनुरोध किया गया था कि हिंदी उर्दू संथाली समेत अन्य भाषाई अल्पसंख्यक स्कूलों के बांग्ला भी पढ़ाया जाए ताकि इन स्कूलों के बच्चे भी बंगला सिख सकें और सरकारी नौकरी की परीक्षा दे सकें। लेकिन वह भी नही किया गया। इससे साफ जाहिर होता है कि राज्य सरकार चाहती ही नही कि बंगला छोड़कर अन्य भाषा भाषी बच्चे सरकारी नौकरी की परीक्षा दे। जितेंद्र तिवारी ने आरोप लगाया कि कुछ लोग बंगाल को भाषा के आधार पर बांटना चाहते हैं जो की नही होगा। यह रविंद्र नाथ टैगोर बंकिम चंद्र चटर्जी शरत चंद्र चटर्जी जैसे महान लोगों की धरती है। इस धरती में विभाजन का यह बीज नही पनप सकता। उन्होंने कहा कि इसी विभाजन की कोशिश के खिलाफ आगामी 15 तारीख को कोलकाता के धर्मतला में भाषाई अल्पसंख्यकों को लेकर एक समावेश किया जाएगा जहां सरकार को 2011 में लिए गए अपने ही फैसले की याद दिलाई जाएगी।