आसनसोल महकमा के जामुड़िया विधानसभा क्षेत्र के धंसल गांव के किसान गंभीर संकट से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि उनकी सैकड़ों बीघा कृषि योग्य जमीन पूरी तरह जलमग्न हो गई है,और इसका कारण कोई प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि एक स्थानीय निजी फैक्ट्री का अवैध कब्ज़ा है। गांव के बाहर बहने वाली सिंगारोन नदी की एक शाखा को स्पिनटेक ट्यूब्स प्राइवेट लिमिटेड ने अवैध रूप से बाधित कर दिया है, जिससे मानसून के दौरान गांव की कृषि भूमि में पानी जमा हो रहा है। नतीजतन,पहले जहां धान, आलू और सब्जी की खेती होती थी, अब वहां दलदल बन चुका है,जिससे जमीन की उपजाऊ क्षमता खत्म हो गई है। गांव के किसान जैसे अनिल बाउरी,आनंद माझी,बंशी पाल,महेश ओझा और सुनील हांसदा ने बताया कि वे पिछले दो वर्षों से इस समस्या का सामना कर रहे हैं। धसल ग्राम उन्नयन कमिटी की ओर से कई बार प्रशासन से शिकायत की गई, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला। किसानों पर कर्ज़ का बोझ बढ़ता जा रहा है और भविष्य अनिश्चितता के घेरे में है। किसानों का मानना है कि यह अवैध गतिविधि न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि आसपास के पर्यावरण को भी
प्रभावित कर रही है। जलभराव के कारण मच्छरों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई है, जिससे ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। किसान अब प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि फैक्ट्री द्वारा किए गए अवैध कब्जे को हटाया जाए और नदी के सामान्य प्रवाह को बहाल किया जाए, ताकि उनकी जमीन फिर से कृषि योग्य बन सके। जामुड़िया बीडीओ अरुणा लोक घोष ने आश्वासन दिया कि मामले की सूचना उच्च अधिकारियों को दे दी गई है और जल्द कार्रवाई की जाएगी। वहीं पंचायत समिति के भूमि पदाधिकारी जगन्नाथ सेठ ने कहा कि इस मुद्दे पर एक बैठक बुलाई गई है और यदि अवैध गतिविधि की पुष्टि हुई,तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। स्पिनटेक ट्यूब प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारी हेमंत सिंह ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि उनके द्वारा नदी के प्रवाह को किसी भी तरह से अवरुद्ध नहीं किया गया है।धसल गांव के किसान इस समस्या के जल्द समाधान की उम्मीद कर रहे हैं। अगर समय पर उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो किसानों की हालत और खराब हो सकती है, जिससे उनकी आजीविका पर और भी गंभीर असर पड़ेगा। अब यह देखना बाकी है कि प्रशासन कितनी जल्दी अपनी कार्रवाई पूरी करता है और किसानों को उनकी जमीन और जीवनयापन की बहाली मिलती है।