निरसा धनबाद दिनांक 11सितंबर नॉन बैंकिंग कंपनी के माध्यम से पैसे का लेनदेन करने की सबसे बड़ी घटना सहारा इंडिया के नाम पर है जिसमें देशभर के लाखों एजेंट करोड़ निवेशक जिनकी लाखों करोड़ में पैसा जमा पूंजी फसी हुई है । इसका आक्रोश लोगों के मन में अभी भी चल रहा है । सहारा इंडिया बंद होने के बाद जहां देश भर के लगभग 13 करोड़ निवेश को का लगभग 12 लाख एजेंट के माध्यम से लगभग ढाई लाख करोड रुपए फस गया है जो मिलने की स्थिति में नहीं लग रहा है । हालांकि एजेंट अपने माध्यम से लगातार इस डूबे हुए पैसों को निकालने का प्रयास पूरे देश भर में कर रहे हैं । मामला सेबी तक पहुंचा और सेबी के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है । इस आंदोलन में निरसासे इसकी एक एनजीओ के माध्यम से शुरुआत हुई जिसका नाम विश्व भारती जन सेवा संस्थान रखा गया इस एनजीओ के में लगभग 30000 सदस्य है जो इस लड़ाई को एनजीओ के बैनर तले लड़ रहे हैं । अब यह लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंची है । हालांकि इस लड़ाई में सरकार के तरफ से किसी भी तरह का साथ इन निवेस्को को नहीं मिल रहा है पर आशा की किरण
के रूप में विगत कुछ दिनों पहले इस लोकसभा में जीत कर आए आरा के माले से सांसद सुदामा प्रसाद ने विगत के सत्र में लोकसभा में सहारा इंडिया का मुद्दा काफी जोर-जोर से उठाया और सरकार को इस पर जवाब भी देना पड़ा और यह मामला सरकार के विचार में भी आया । इसके बाद सहारा के निवेशको तथा एजेंट में यह आशा की किरण लगी की अगर आरा के माले सांसद सुदामा प्रसाद हमारी आवाज को उठाते हैं तो संभवत सभी निवेशकों का पैसा मिल जाएगा ।इसी कड़ी में अपने अन्य कार्यक्रमों के तहत निरसा पहुंचे बिहार के आरा से सांसद सुदामा प्रसाद को उक्त एनजीओ के प्रधान कार्यालय में आमंत्रित किया गया । उनके साथ निरसा के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी भी पहुंचे और सभी कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया तथा एनजीओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जनार्दन मिश्रा ने सांसद को अंग वस्त्र तथा पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया और अपनी लड़ाई उनके माध्यम से लड़ने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया । सांसद सुदामा प्रसाद ने कहा कि सहारा के मुद्दे को लेकर वह काफी सक्रिय हैं और लगातार लोकसभा के सत्र में इसकी आवाज को उठाएंगे और भाजपा की सरकार को सभी निवेशकों का पैसा लौटना होगा तथा निवेशकों का पैसा सहारा में डूबने के बाद पूरे देश भर में जहां लगभग 10000 एजेंट ने खुदकुशी कर ली उनको मुआवजा के रूप में सरकार को लगभग 10 लाख रुपए उनके परिजनो को देना पड़ेगा । सरकार अगर निवेशकों का उनका पैसा वापस नहीं करती है तो विपक्ष देश भर में आंदोलन कर किसी भी कीमत पर सहारा के निवेशकों का पैसा वापस दिलाएगा ।