ऐसे तो भारतवर्ष में अनेकों चमत्कारी मंदिर हैं जो किसी न किसी रूप से चमत्कार कर दैवीय शक्ति का आभास कराते रहें हैं. एक ऐसा ही मंदिर है बिहार के बक्सर जिले स्थित ब्रह्मपुर शिव मंदिर जिसे मनोकामना महादेव के नाम से जाना जाता है,इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं परम पिता ब्रह्मा ने अपने हाथों से किया था जिसके कारण यह स्थल ब्रह्मपुर के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी व्यक्ति सच्चे मन से अपनी मनोकामना भगवान भोलेनाथ के शरण में आते हैं,भगवान भोलेनाथ उसकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं,लोगों का कहना है कि रावण का पुत्र मेघनाथ भी इस मंदिर में आकर पूजा
और तपस्या किया करता था. अधिकतर सभी शिव मंदिर का मुख्य द्वार पूरब की ओर है तो इस मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की ओर है,इस संबंध में एक कथा प्रचलित है कि वर्षों पूर्व मुस्लिम शासक मोहम्मद गजनी मंदिर तोड़ने ब्रम्हापुर आया तब स्थानीय लोगों ने विरोध करते हुए कहा कि तुम अगर मंदिर तोड़ोगे तो बाबा भोलेनाथ तुम्हारा विनाश कर देंगे. लोगों के विरोध पर गजनी ने बाबा भोलेनाथ से शर्त रखते हुए कहा कि अगर रात भर में मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर हो जाएगा तब वह मंदिर को छोड़ देगा. अगले दिन जब वह मंदिर आया तो पाया कि मंदिर का मुख्य द्वार पूरब से पश्चिम दिशा की ओर हो गया,जिसके बाद मो. गजनी उल्टे पैर मंदिर परिसर से भागने पर विवश हो गया,आज भी मंदिर परिसर में पूरब दिशा में बंद हुए दोनों ओर से मुख्य द्वार को देखा जा सकता है.