आर्थिक रूप से दुनिया में सबसे तेज गति से विकास कर रहे भारत में पानी की किल्लत बड़े संकट की ओर इशारा कर रहा है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि पानी की किल्लत भारत की साख को संकट में डाल सकती है। वहीं, पानी खपत से जुड़े थर्मल पावर प्लांट व स्टील जैसे औद्योगिक सेक्टर पर भी दबाव बढ़ेगा।मूडीज के मुताबिक भारत में तेजी से हो रहे आर्थिक विकास, औद्योगिकीकरण और शहरीकरण से जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है।
पहले से बड़ी आबादी में लगातार हो रही बढ़ोतरी से भारत में पानी की खपत काफी अधिक है,जिससे प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता कम हो सकती है।वर्ष 2030 तक पानी की सालाना औसत प्रति व्यक्ति उपलब्धता 1367 क्यूबिक मीटर हो जाएगी, जो फिलहाल 1486 क्यूबिक मीटर है। वर्ष 2030 तक भारत की आबादी वर्तमान के 1.43 अरब से बढ़कर 1.51 अरब हो जाएगी।