स्थानीय इस्कॉन मंदिर देवघर के प्रांगण में जो जसीडीह देवघर मुख्य पर रोहिणी मोड़ के करीब स्थित है हर्ष उल्लास के साथ भगवान जगन्नाथ भगवान बलभद्र एवं माइ सुभद्रा का स्नान यात्रा मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भगवान जगन्नाथ कथा से हुई। इस्कॉन देवघर के प्रमुख श्रीनिवास गोपाल दास जी ने कथा में स्नान यात्रा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह उत्सव भगवान के दिव्या स्नान का उत्सव है अतः इसे देवस्नान उत्सव भी कहते हैं। जो हिंदी के जेस्ट मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इसे भगवान जगन्नाथ के जन्मदिन के रूप में भी मानते हैं। इस शुभ तिथि को भगवान जगन्नाथ देवी सुभद्रा एवं भगवान बलभद्र के दिव्या मूर्तियों को शाही स्नान कराया जाता है। स्नान के पहले इन तीनों की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है इस कारण से स्नान यात्रा कहा जाता है। तीनों देवी देवताओं की मूर्तियों को मंत्रोचार, घंटा, ढोल, झांज की ध्वनि के साथ विशेष स्नान बेदी तक लाया जाता है। इसे पहाड़ी जुलूस कहा जाता है। इसके बाद तीनों देवी देवताओं को शाही स्नान कराया जाता है
जिसे अभिषेक भी कहा जाता है। शाम तीनों देवता भक्तों को दर्शन देने के लिए प्रकट होते हैं, जिसे सहाना मेला कहा जाता है। रात के समय में भगवान अपने विश्राम गृह में चले जाते हैं मान्यता के अनुसार भगवान ज्वर रोग से पीड़ित हो जाते हैं एवं 14 दिनों तक स्वस्थ लाभ करते हैं 14वें दिन भगवान अपने भक्तों को दर्शन देते हैं एवं 15वें दिन भगवान अपने दिव्य रथ पर सवार सवार होकर अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलते हैं। कथा के पश्चात कीर्तन किया गया कीर्तन में इस्कॉन के अनुयाई एवं विशेष अनुष्ठान में आए भक्तों मैं बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और कीर्तन की धुन पर खूब नृत्य किया। इस कार्यक्रम के बाद महाआरती, तत्पश्चात 108 महाभोग लगाकर भक्तों के बीच भोजन प्रसाद का वितरण किया गया। सभी अनुष्ठानों को पूरा करने में इस्कॉन देवघर के अनुयाई एवं आमंत्रित भक्तों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। अंत में सभी आए हुए भक्तों का आभार प्रकट करते हुए इस्कॉन देवघर के प्रमुख ने सभी भक्तों को 7 जुलाई 24 को रथ यात्रा महोत्सव में सम्मिलित होने का विशेष अनुरोध करते हुए कहा कि आप अपने साथ अपने इष्ट, मित्रों, परिजनों को भी रथ यात्रा महोत्सव में अवश्य लावे। रथ यात्रा महोत्सव शिवलोक परिसर देवघर के बजरंगबली मंदिर से संध्या 4:00 बजे प्रारंभ होकर इस्कॉन देवघर रोहिणी मोड़ जसीडीह के प्रांगण में स महा प्रसाद केसाथ संपन्न होगी।