गुरु ज्योतिष्पीठ और द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य पद पर विराजमान होकर उसके लम्बे समय तक शोभा मर्यादा को बढ़ाने वाले देश धर्म-समाज को अपने योगदानों से समृद्ध करने वाले, गंगा-गौ-गीतादी सनातन धर्म-प्रतीकों की रक्षार्थ निरन्तर संघर्षशील, श्रीराम जन्मभूमि रामालय के पुरोधा पूज्यपाद स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ने अपनी इहलीला का संवरण विगत आश्विन शुक्ल प्रतिपदा (द्वितीया) 2079 वि. को अपराह्न 3:21 बजे कर लिया है। बताते चलें की पूज्यश्री को समाधि परमहंसी गंगा आश्रम,झोतेश्वर जिला नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश में विधिपूर्वक दी जा चुकी है।तो वही स्वामी श्री सदानन्द सरस्वती जी गुरु शंकराचार्य द्वारका शारदापीठ समाराधना कार्यक्रम के संरक्षक ने जर्नलिस्ट जितेंद्र सिंह को जानकारी देते हुए कहा की प्रतिदिन आत्मा अन्तरात्मा और परमात्मा का तर्पण, श्रीनारायण पूजन पावस बलिदान व ब्रह्म को अर्घ्यदान होकर 21 सितम्बर को यति पार्वण, 22 सितम्बर को नारायण बलि और 23 सितम्बर को आराधना सह भण्डारा तथा सभा आदि के आयोजन परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर जिला नरसिंहपुर में होंगे। स्वामी श्री सदानन्द सरस्वती जी गुरु शंकराचार्य द्वारका शारदापीठ (समाराधना कार्यक्रम संरक्षक) स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जगदुरु शंकराचार्य ज्योतिमीठ (समाराधना कार्यक्रम संयोजक) ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द जी (समाराधना कार्यक्रम अध्यक्ष) उभयपीठ निजी सचिव तथा समस्त शिष्यगण ने आप सभी को समस्त कार्यक्रमों में पधारकर श्रीगुरुआशीष प्राप्त करने का निवेदन किया है।
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