चीन ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उस टिप्पणी पर अपना विरोध दर्ज कराया कि वह ताइवान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के इच्छुक हैं। चीन ने जोर देकर कहा कि भारत को ताइवान के अधिकारियों की राजनीतिक चालों का विरोध करना
चाहिए। चीन ताइवान को अपने एक विद्रोही प्रांत के रूप में देखता है जिसे मुख्य भूमि के साथ पुन: एकीकृत किया जाना चाहिए, भले ही यह बलपूर्वक किया जाए।