इस वक्त प्राइवेसी मसले को लेकर सरकार और अमेरिकी सोशल मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप के बीच तनातनी चरम पर है। सरकार फेक न्यूज पर लगाम कसने के लिए वॉट्सऐप से मेसेज का ओरिजिन जानना चाहती है, मतलब कि मैसेज को पहली बार किस यूजर ने भेजा। लेकिन, इसके लिए मेटा के मालिकाना हक वाले वॉट्सऐप को एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन तोड़ना होगा, जो मेसेज को सेंडर और रिसीवर के बीच प्राइवेट रखता है। वॉट्सऐप ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट कह दिया है कि अगर उसे एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है, तो उसके पास भारत से अपना कारोबार समेटने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचेगा।
अगर वॉट्सऐप भारत छोड़ती है, तो उसकी जगह लेने वाला फिलहाल दूर-दूर तक कोई भारतीय मैसेजिंग ऐप नहीं दिखता। एक वक्त था, जब एक भारतीय मैसेजिंग ऐप ना सिर्फ वॉट्सऐप को टक्कर दे रहा था, बल्कि कई मामलों में उससे आगे भी था। उसका नाम था, हाइक मैसेंजर (Hike Messenger)। इस ऐप की बुनियाद रखी थी कविन भारती मित्तल ने, साल 2012 में ।