जहाँ एक और रायसेन जिले के एक शिक्षक की मेहनत और लगन से सालेगड़ ग्राम में भील आदिवासियों के बच्चो को बेहतरीन शिक्षा और संसाधन मिल रहे है जिसके कारण उत्कृष्ठ कार्य के लिए नीरज सक्सेना को राष्ट्रपति द्वारा शिक्षक सम्मान से नवाजा गया तो वही दूसरी और रायसेन जिले के ओबेदुल्लागंज ब्लॉक के वन ग्राम मलखार टोला में भील आदिवासी समुदाय के बच्चे एक शिक्षक की गैर जिम्मेदारी और कर्तव्य विमुखता से शिक्षा के अधिकार से भी बंचित है। हम बात कर रहे हैं ओबेदुल्लागंज ब्लॉक के अंतर्गत आने बाले ग्राम मलखार टोला की जहाँ प्राथमिक शाला में भील आदिवासी समाज के कक्षा पहली से पांचवी तक के 66 बच्चे शासकीय स्कूल में पढ़ाई करते हैं यहां 3 शिक्षकों की नियुक्ति है इनमें प्रधानाध्यापक तिलक सिंह कनेरिया लीला किशन और अतिथि शिक्षक राजा राम मेहरा है प्रधानाध्यापक महीने में एक या दो बार साला पहुंचते हैं बाकी समय वह अपने निजी कार्य में व्यस्त रहते हैं लीला किशन स्थाई शिक्षक और अतिथि शिक्षक राजाराम मेहरा सप्ताह में दो-तीन बार 12 बजे पहुंचते हैं और 2 छुट्टी कर वापस हो जाते हैं प्रधानाध्यापक की गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली से प्राथमिक शाला के 66 बच्चों को माह में सिर्फ एक या दो बार मध्यान भोजन मिलता है ना उन्हें पढ़ाया जा रहा है ना ही उनके पोषण आहार की चिंता की जा रही शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत मिलने वाली सुविधाओं पर प्रधानाध्यापक सीधे तौर पर डाका डाल रहे हैं और बच्चों के पोषण आहार के साथ-साथ शिक्षा पर भी डाका डाल उनका भविष्य खराब कर रहे हैं । ग्रामीण अपने बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार मांग रहे हैं और शासन से गुहार लगा रहे हैं कि हमारे बच्चे को उचित पोषण आहार और शिक्षा दी जाए ।
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