धनबाद – कविता और साहित्य को बचाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं निर्दोष जैन।

जी हां 1959 में मेरठ के जन्मे निर्दोष जैन बचपन से ही कविता लिखने और गाने के शौकिन रहें हैं लेकिन अभी तक उन्हे कोई भी सरकारी प्रोत्साहन नहीं मिल पाया है इन दिनों वे अपने बच्चो के साथ धनबाद के धायिया स्थित एक फ्लैट में रह रहे हैं।लगभग पूरे देश का भ्रमण करते हुए सैकड़ों कवि सम्मेलन में अपनी काव्य कला का जादू बिखेर कर वाह वाही तो खूब बटोर चुके हैं लेकिन अब मौजूदा समय के लोगों का कविता के प्रति घटते लगाव से दुखी हैं होली के मौके पर प्रस्तुत है एक छोटी सी मुलाकात निर्दोष जैन की पंकज सिन्हा के साथ।

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