मामला टीकमगढ़ जिले बल्देवगढ़ के कुड़ीला गांव का है जहां पर बच्चों को हाथों में जानवरों की तरह भोजन दे दिया जाता है जिस भोजन में कीड़े मकोड़े निकलते हैं जिसे खाकर बच्चे अपनी किस्मत को कोसते है और सोचते हैं की आखिर शिवराज मामा सिर्फ कथन के लिए क्या हमें भांजे भांजी कहते हैं या हम सच में शिवराज मामा के भांजे भांजी हैं, स्कूल में हद तो तब हो जाती है जब हाथों में रोटी का दोना बनाकर बच्चे उसमें सब्जी लेकर जानवरों से बचते बचाते भागते हुए नजर आते हैं क्योंकि बच्चों को खुले आसमान के नीचे घास और कचरे पर बिठा दिया जाता है और साथ में वही कुत्ते बिल्ली और अन्य जानवर घूमते हैं जो हाथों में बच्चों के रोटी देख बच्चों पर हमला भी कर देते हैं और इस मामले में यहां के प्रधानाध्यापक तो गजब है उनके हिसाब से कोरोना का हाल में थालियों में जंग लग चुकी है, वही बैठने के लिए स्कूल में बिल्डिंग नहीं है और गुणवत्ता वाला भोजन देने के लिए बजट नहीं है क्योंकि यही मध्यप्रदेश है यही शिव का राज है और यही मजबूर देश का भविष्य है
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