औधोगिक शहर के प्रसिद्ध श्री पंचमुखी बालाजी धाम के द्वादश वार्षिकोत्सव के मद्देनजर आयोजित श्रीमद्भ भागवत कथा के तीसरे दिन कथा सुनाते हुए कथा वाचक अनुराधा सरस्वती जी ने बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों हो। कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा।कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की। कथा के दौरान भजन गायको ने भजनों की प्रस्तुति दी.इस मौके पर अशोक अग्रवाल,अनिल सिंह,राकेश भट्टड,सोनू शुक्ला,सीपी ठाकुर,सत्यम तिवारी,विक्की गुप्ता,सुदीप मिश्र,ओपी सिंह मुख्य रूप से उपस्थित रहे. कल शनिवार को भी भागवत का भव्य आयोजन है।औद्योगिक शहर दुर्गापुर – आसनसोल के युवा उधमी , सुप्रतिष्ठित व्यवसायी और धार्मिक अभिरुचि संपन्न राकेश भट्टड उर्फ शाखा ने शुक्रवार की शाम कहा कि , बिजी लाइफ से आज हर वर्ग – समाज जुझ रहा है। व्यस्त क्षण और कार्यक्रम के बीच यदि हम कुछ पल ईश्वर को देते हैं और भागवत कथा स्रवण करते हैं तो तय है कि शांतिपूर्ण वातावरण आपके समीप बना रहेगा।
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