आसनसोल के सकतोड़िया स्थित ईसीएल मुख्यालय पर तृणमूल कांग्रेस से संबधित श्रमिक संगठन आई एन टी टी यू सी के बैनर तले ईसीएल को बेसरकारी करण करने तथा केंद्रीय सरकार की श्रम विरोधी नीतियों तथा विभिन्न मुद्दों के खिलाफ शनिवार को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री मलय घटक,आईएनटीटीयूसी के प्रदेश अध्यक्ष ऋतब्रत बनर्जी, तृणमूल कांग्रेस के पश्चिम बर्दवान जिला अध्यक्ष सह पांडेश्वर के विधायक नरेंद्र नाथ चक्रवर्ती, कोयला खदान श्रमिक कांग्रेस के महामंत्री सह जामुड़िया के विधायक हरे राम सिंह,आईएनटीटीयूसी के जिलाध्यक्ष सह आसनसोल नगर निगम के उप मेयर अभिजीत घटक तथा संगठन सचिव मलयाद्री बोस सहित अन्य लोगों उपस्थित थे। सभा मे तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष नरेंद्र नाथ चक्रवर्ती ने कहा कि कोयला खदान श्रमिक कॉंग्रेस बड़ा संगठन होने के बावजूद भी केंद्रीय जेसीसी, वेलफेयर बोर्ड सहित सभी बोर्डों में अवहेलित हैं। अगर हमारे संगठन को केंद्रीय जेसीसी में नहीं बुलाया गया तो ईसीएल में केंद्रीय जेसीसी की बैठक नहीं होगी। कहा कि 35 हजार सदस्य होकर भी हमारी बात नहीं मानी जा रही है, वही 15 हजार सदस्य संख्या वाले संगठन की बात मानी जा रही है ऐसा हम लोग नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई संगठन नहीं है जो केंद्रीय जेसीसी में हमारा विरोध कर सके। कहां हम लोग 34 वर्षों से देख रहे हैं कि विभिन्न जगहों पर सीआईसीओ यूनियन बाजी करके कल कार खाना को बंद कर दिया है। परिणाम स्वरूप हजारों कारखाने में बंद हो गए हैं। कहीं भी कल कारखाने बंद ना हो इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अडिग हैं। राज्य की मुख्यमंत्री श्रमिकों को साथ लेकर आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि 1300 मौत के मामले डीपी मैडम की फाइल में लंबित हैं उन्हें नियुक्ति नहीं दी गई। यहां तक की 2015–16 के मौत के मामले लंबीत पड़े हुए हैं। फाइलें साइन नहीं हो रही हैं, जो श्रमिक ईसीएल में मेहनत करके काम करते रहे हैं उनकी फाइलें लटकी रही ऐसा हम लोग नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि ईसीएल द्वारा रास्ता, पार्क सभी बनाए जा रहे हैं, हमें आपत्ति नहीं है, पर श्रमिकों की सुरक्षा व्यवस्था न हो ईसीएल को लाभ नहीं होगा। ऐसा हम लोग नहीं होने देंगे। उन्होंने स्थानीय बेरोजगारों को भी रोजगार मुहैया करवाने की मांग की। वही राज्य के मंत्री मलाय घटक ने कहा कि 1972-73 में कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण किया गया था। उसे समय श्रमिक आराम से सोते थे, भोजन करते थे और बच्चे बच्चियों को पढ़ाते थे। लेकिन दिल्ली में एक सरकार आई जो इनको फिर से निजीकरण करना शुरू कर दी। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से हम लोग इसका विरोध करते आए हैं। लेकिन ईसीएल कोयला खदानों का निजीकरण शुरू नहीं किया था लेकिन चार-पांच महीना पहले से इसका टेंडर कर सरकारी खदानों का निजीकरण करना शुरू कर दिया। अभी तक 12 खदानों को निजी हाथों में सौंप दिया गया है। यह प्रतिदिन बढ़ रहा है। आनेवाले दिनों में एक भी सरकारी कोयला खदान नहीं रहेगा। अगर केंद्रीय सरकार और ईसीएल ऐसा कर दिया तो कोयला खदान में काम करने वाले श्रमिकों को भविष्य के बारे में सोचना पड़ेगा। आसनसोल क्षेत्र में काम करने वाले 50% आदमी या तो कोयला खदान में काम करते हैं या किसी न किसी तरह से इससे जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोयला खदानों का निजीकरण हो गया तो उसके मालिक कहेंगे कि 10 हजार रुपये में काम करना है तो करो नहीं तो भागो। उन्होंने इसे बचाने के लिए लगातार आंदोलन करते रहने की बात कही।
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