साल के प्रथम दिन हर साल के भांति इस साल भी कल्पोतरू उत्सव सभी सदस्यों ने मिलजुल कर भगवान श्री श्री रामकृष्ण परमहंस देव जी की याद में आश्रम प्रांगन मनाया गया । सुबह ठाकुर जी की बिषेस पूजा अर्चना हुई एंव भोग निवेदन हुआ। उसके बाद सभी भक्तजन एवं सदस्य जन मिलजुल कर श्री श्री ठाकुर रामकृष्ण परमहंस देब को स्मरण किये। 10.30 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम कि शुरुआत हुई। सांस्कृतिक कार्यक्रम मे सभी भक्तजनों ने अपनी अपनी भागेदारी निभाई। सदस्य ने ठाकुरजी की गाना प्रस्तुत किये जिसका नेतृत्व डॉक्टर मैडम सुजाता चटर्जी ने की। उसके बाद सभी भक्तों ने ठाकुरजी का प्रसाद ग्रहन किये। अध्यक्ष डॉ गोपाल चटर्जी ने कल्पोतरू उत्सव के बारे में प्रकाश डाला उन्होंने बताया कि सन 1886 साल के प्रथम दिन श्री श्री रामकृष्ण परमहंस देव जी ने काशीपुर के उद्यानबाटी में गृहस्थ भक्तगणो के बीच बोले थे। ” “तोमादेर चैतन्य होक ” एवं समाधिस्थ होकर सभी शिष्य को स्पर्श किए इस स्पर्स से सभी भक्तों को एक अद्भूत आध्यात्मिक अनुभूति हुआ था भगवान के शिष्य रामचंद्र दत्त ने व्याख्या किया की ठाकुर उसदीन हिंदू पुराण के अनुसार कल्पतरु में परिणत हुए थे। इसलिए उस दिन से कल्पतरु उत्सव के नाम से जाना जाता है । उसे दिन काशीपुर उद्यान बाटिका में सिर्फ सिर्फ गृहस्थ शिष्य लोग ही उपस्थित थे कोई भी संन्यासी शिष्य उसदीन नहीं थे पुरी कार्यक्रम संस्था के सचिव अधिवक्ता श्री सुजीत चंद्र मलिक के नेतृत्व में संपन्न हुआ । उन्होंने सभी सदस्यों को कार्यक्रम की सफलता के लिए धन्यवाद दिए एवं तीन जनवरी को श्री श्री मां शारदा देवी का 171st जन्म तिथि उत्सव एवं 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद के 161st जन्मदिन पर अयोजित युबा उत्सव को सफल करने के लिए सभी सदस्यों को अनुरोध की प्रस्तुत है सहयोगी मिथिलेश बाबा के साथ पंकज सिन्हा की रिपोर्ट धनबाद से
Posted inJharkhand