जिला अस्पताल वैसे तो अवैध वसूली के लिए बदनाम है, लेकिन एक बार फिर से भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। बता दे की फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाने वालों से रुपए वसूलने का धंधा जोरों पर चल रहा है। इसमें अस्पताल के स्टॉफ की लॉटरी लग गई है, और सर्टिफिकेट बनाने के नाम पर मनमाने रूपये मांग रहे हैं। जहां अभ्यर्थी भी अपना काम कराने के लिए रुपए देने को मजबूर हैं। वही अभ्यर्थियों को अन्य दस्तावेजों के साथ फिटनेस सर्टीफिकेट भी जमा करना है। जहां सर्टीफिकेट बनवाने के लिए अभ्यर्थी अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं। उनकी इस मजबूरी का फायदा जिला अस्पताल के स्टाफ,बाबू उठा रहे हैं। जहां जरूरत के हिसाब से सर्टिफिकेट बनवाने के नाम पर मनमाने ढंग से रुपए की मांग की जा रही है। सूत्रों की माने तो इसके लिए 110 रुपए का रेट फिक्स कर दिया गया है। इसके अलावा अगर किसी को तुरंत प्रमाण पत्र चाहिए तो उससे 300 रुपए तक मांगे जा रहे हैं।फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाने के लिए छात्र-छात्राओं की जिला अस्पताल में भारी भीड़ उमड़ रही है। जिला अस्पताल में फिटनेस प्रमाण पत्र बनवाने को मारामारी चल रही है। यहां फिटनेश प्रमाण पत्र बनवाने के लिए छात्र-छात्राएं एवं नौकरी पाने वाले लोग आ रहे हैं। इसकी वजह से भीड़ की संख्या में इजाफा हो रहा है। फिटनेस वाले लोगों के चलते सबसे ज्यादा मरीजों को भी दिक्कत झेलनी पड़ रही है। जिला अस्पताल इन फिटनेस वालों की कोई अलग से व्यवस्था नहीं कर रहा हैं। वही फिटनेस प्रमाण पत्र बनवाने वाले आवेदकों ने अवैध वसूली का आरोप लगाया है।
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