भारत के पहले स्वदेशी हल्के टैंक जोरावर (Zorawar) के लिए जर्मनी से इंजन की मांग की गई थी। लेकिन जर्मनी ने मना कर दिया। इसके बाद यह भारत ने अमेरिका से इंजन की डील कर ली। अब जर्मनी ने कहा कि वो इंजन दे सकता है लेकिन भारत ने मना कर दिया। आइए जानते हैं इस शानदार टैंक की खासियत… ज़ोरावर को पंजाबी भाषा में बहादुर कहते हैं। यह एक आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल है। इसे इस तरह से बनाया जाएगा कि इसके कवच पर बड़े से बड़े हथियार का असर न हो। इसके अंदर बैठे लोग सुरक्षित रहे। इसकी मारक क्षमता घातक हो। साथ ही यह बेहतर स्पीड में चल सके। अंदर आधुनिक संचार तकनीक लगाई जाएगी। ज़ोरावर टैंक को DRDO ने डिजाइन किया है। यहां तस्वीरों में उसी टैंक के मॉडल हैं। इसे बनाने का काम लार्सेन एंड टुर्बो को दिया गया है। भारतीय सेना को ऐसे 350 टैंक्स की जरुरत है। ये टैंक मात्र 25 टन के होंगे। इन्हें चलाने के लिए सिर्फ तीन लोगों की जरूरत होगी।