आपको बता दु की आज बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक औरंगाबाद पहुंचे। और वैसे स्कूल में गये जहां सारी व्यवस्थाएं पूर्ब से ही दुरुस्त है। यदि केके पाठक ओबरा के गौरी सोनवर्षा के उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जाते तो, जमीनी हकीकत से रूबरू होते लेकिन उनका इस तरह की स्कूलों का विजिट नही हुआ। यहां पर गौरी सोनवर्षा के स्कूल की चर्चा इस कारण की जा रही है क्योकि वहां के ग्रामीणों ने केके पाठक का ध्यान दिलाने के लिए उनके यहां आने की सूचना मिलने पर आने के दो-तीन दिन पहले ही अपनी स्कूल की बदहाली का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया है। वीडियो में स्कूल में एक कुत्ता स्कूल के कमरे में आराम करता दिख रहा है जबकि भवनों की हालत जर्जर है। स्कूल में सिर्फ वर्ग 6 तक पढ़ाने वाले शिक्षक है। इसके उपर की 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिए स्कूल में टीचर्स ही नही है। खैर इन हालातों के बीच यहां आने पर केके पाठक मदनपुर पहुंचे। पहले उन्होने वहां प्रोजेक्ट हाई स्कूल और अनुग्रह उच्च विद्यालय का निरीक्षण किया। इस दौरान व्यवस्था में सुधार लाने का निर्देश दिया। सबसे पहले उन्होंने प्रोजेक्ट जयप्रभा कन्या उच्च माध्यमिक में दौरा किया, जहां प्रवेश करते ही सबसे पहले विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक से उन्होंने विद्यालय में छात्र छात्राओं एवं शिक्षकों की उपस्थिति के बारे में जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने विद्यालय में लगे शिक्षकों और छात्राओं की उपस्थिति बोर्ड को देखा और विद्यालय के सभी क्लासरूम में बारी-बारी से जा कर जायजा लिया। वही छात्राओं ने कमरा और शिक्षकों की कमी को लेकर सवाल उठाया जिसकी जल्द ही भरपाई करने का उन्होने आश्वासन दिया। फिर शौचालय का निरीक्षण किया जहां उससे संतुष्ट होकर प्रशंसा की। इसके बाद लैब का निरीक्षण किया, और प्रत्येक दिन स्टूडेंट्स का दो लैब क्लास लेने का निर्देश दिया।और कचरे की साफ-सफाई कराने का निर्देश दिया। विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक प्रवीण कुमार मिश्र ने भी उन्हे कमरों की समस्या से अवगत कराया जिसका जल्द ही निर्माण करवाने का उन्होने आश्वासन दिया। इसके बाद वें पास के ही अनुग्रह प्लस टू उत्क्रमित विद्यालय पहुंचे, जहां प्रभारी प्रधान शिक्षक हेमलता सिंह ने अपर सचिव को शॉल देकर सम्मानित किया। इसके बाद केके पाठक ने हेमलता सिंह से बीपीएससी परीक्षा देने के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि परीक्षा नहीं दी है। जब उन्होने कारण पूछा तो प्रधान शिक्षक ने कहा कि समय नहीं था। वही अन्य महिला शिक्षिकाओं से जब केके पाठक ने यही सवाल किया तो उन्होने कहा कि फॉर्म नहीं भर पाए थे।प्रधान शिक्षक से शायद केके पाठक को इस तरह के दो टूक जवाब की उम्मीद नही रही होगी। दरअसल प्रधान शिक्षक का दो टूक जवाब नंगी हकीकत है क्यो की स्कूल दस बजे से चार बजे तक चलने है। लिहाजा प्रधान को एक घंटे पहले स्कूल आना ही है। स्कूल आने के पहले उन्हे बच्चों के मध्याह्न भोजन के लिए नून, तेल, लकड़ी, सब्जी का इंतजाम करना है। इसके लिए स्कूल जाने के पहले दो घंटें तक बाजार करना है। ऐसे में प्रधान शिक्षक को अपनी दिनचर्या सुबह के करीब 7 बजे से ही शुरु करनी होगी। दस से चार बजे तक स्कूल कर कोई भी प्रधानाध्यापक या प्रधान शिक्षक शाम पांच बजे के क बाद ही घर पहुंचेगा। फिर अपने घर और अपने बाल बच्चे परिवार को देखने में रात के नौ-दस बज ही जाने है। इसके बाद शिक्षक सोने के बजाय जब बीपीएससी टीचर्स परीक्षा की तैयारी करते तो इससे उनकी दिनचर्या निःसंदेह प्रभावित होगी। लिहाजा प्रधान शिक्षक ने परीक्षा नही देने की बात कह दी तो इसके पीछे की सच्चाई स्वीकार करना चाहिए। प्रधान शिक्षक से बात करने के बाद केके पाठक ने स्कूल के व्यवस्था से सतुंष्ट होकर तारीफ की। विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक से शिक्षकों की संख्या और छात्र छात्राओं की संख्या के बारे में पूछताछ की। प्रभारी प्रधानाध्यापक ने बताया कि 53 प्रतिशत छात्र-छात्राओं की उपस्थिति है, जिसे और बढ़ाने का उन्होने निर्देश दिया और स्कूल नहीं आनेवाले स्टूडेंट्स का नाम काटने का निर्देश दिया। इस दौरान जिला शिक्षा पदाधिकारी संग्राम सिंह, मदनपुर के प्रखंड विकास पदाधिकारी कुमुद रंजन, डीपीओ सह प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रवि कुमार रौशन, मुखिया हामिद अख्तर सहित अन्य लोग मौजूद रहे। मदनपुर के स्कूलों की विजिट के बाद जब मीडियाकर्मियों ने बात करनी चाही तो उन्होने सिर्फ इतना कहा कि वे मीडिया से दूर रहते है। इसके बाद केके पाठक औरंगाबाद आएं। यहां राजकीय अतिथिगृह में डीएम श्रीकांत शास्त्री, डीईओ संग्राम सिंह, डीपीओ स्थापना दयाशंकर सिंह एवं शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारियों के साथ शाम होने तक बैठक की। बैठक के बाद जब मीडियाकर्मियो ने उनसे बात करनी चाही तो उन्होने कुछ भी नही कहा। चुपचाप अपनी गाड़ी में बैठे और प्रदेश की राजधानी पटना के लिए प्रस्थान कर गए
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