मोदी सरकार ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री- प्रणाम योजना को मंजूरी दे दी। पीएम प्रणाम यानी प्रमोशन ऑफ अल्टरनेटिव न्यूट्रिएंट्स फॉर एग्रीकल्चर मैनेजमेंट स्कीम। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल बजट पेश करते समय इस योजना का ऐलान किया था इस योजना का मकसद वैकल्पिक खाद का इस्तेमाल बढ़ाना और केमिकल फर्टिलाइजर का इस्तेमाल कम करना है। इस योजना के तहत अगले 3 साल यानी मार्च 2025 तक 3.68 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। यह रकम राज्यों को सब्सिडी के तौर पर मिलेगी। *क्यों आई है योजना? 1991 के बाद से सरकार का मकसद खाद्य उत्पादन को दोगुना करने और किसानों को सशक्त बनाने पर है। हालांकि, पीएम प्रणाम योजना के जरिए सरकार फर्टिलाइजर सब्सिडी के बढ़ते बोझ को कम करना और मिट्टी के तहत को सुधारना चाहती है। -2022-23 में केंद्र सरकार ने केमिकल फ़र्टिलाइज़र पर दी जाने वाली सब्सिडी पर 2.25 लाख करोड़ रुपए खर्च किए, जो 2021-22 की तुलना में 39% ज्यादा है। 2021-22 में 1.62 लाख करोड़ रुपए सब्सिडी दी गई थी। -केमिकल फर्टिलाइजर के बहुत ज्यादा इस्तेमाल की वजह से ना सिर्फ खेती में बल्कि अनाज के पोषक तत्वों की क्वालिटी में भी गिरावट आ रही है। *क्या है पीएम प्रणाम योजना? -जैसे कि ऊपर बता चुके हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस योजना का ऐलान बजट में किया था। -इस योजना का मकसद वैकल्पिक खाद के इस्तेमाल को बढ़ाने और केमिकल फर्टिलाइजर के इस्तेमाल को कम करने या संतुलित इस्तेमाल करने को बढ़ावा देना है। *कैसे काम करेगी योजना? पीएम प्रणाम योजना के लिए अलग से फंड की व्यवस्था नहीं की गई है। इस पर 2022 23 से 2024 -25 तक 3 साल में 3.68 लाख करोड़ रुपए का खर्चा आएगा। -यह खर्चा उर्वरक विभाग की ओर से दी जा रही फर्टिलाइजर सब्सिडी के जरिए ही दिया जाएगा। यानी अभी जो फर्टिलाइजर सब्सिडी दी जाती है, उसकी सेविंग से ही यह योजना चलेगी। -राजीव को जो केंद्र की ओर से ग्रांट मिलेगा, उसका 70% वह वैकल्पिक पूर्वक को और वैकल्पिक उर्वरकों की तकनीक से जुड़ी संपत्ति को बनाने में खर्च करेंगे। -बाकी 30% फंड का इस्तेमाल किसान और पंचायतों उत्पादक संगठनों और सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को प्रोत्साहित करने के लिए हो सकता है।
दिल्ली – 3 साल में खर्च होगी 3.68 लाख करोड़… जाने क्या है PM-PRANAM योजना, क्यों है जरूरी।
