सनावद – ऐसी है दुधाखेड़ी मंदिर की महिमा, देवी से आंख नहीं मिला पाते भक्त।

सनावद – ऐसी है दुधाखेड़ी मंदिर की महिमा, देवी से आंख नहीं मिला पाते भक्त।

सनावद से कुछ भक्त माता जी के दर्शन करने दुधाखेड़ी मन्दिर में गए थे। वहा पर माता जी के चमत्कार के बारे में सुना। वह के ग्रामीणों से चर्चा की ओर लकवा से पीड़ित लोगो से बात की तो उन्होंने माता जी के चमत्कार के बारे में बताया। मंदसौर जिले के गरोठ विधनसभा में स्थित दुधाखेड़ी गांव है। यहां दुधाखेड़ी माताजी का नाम से एक प्राचीन मंदिर बना हुआ है। यह इसलिए जाना जाता है क्योंकि यहां आने वाले लकवा से पीड़ित लोग ठीक हो जाते हैं यहां 13वीं सदी से पूजा के प्रमाण मिलते हैं यहां के बारे में ऐसी मान्यता है कि जंगल में एक व्यक्ति पेड़ काट रहा था, तभी एक पेड़ से दूध की धारा और एक खून की धारा बह निकली और माता जी वहां पर प्रकट हुई तभी से इस स्थान का नाम दुधाखेड़ी माताजी पड़ गया यह मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। इसमें देवी पंचमुखी रूप में विराजित हैं। प्रतिमा के पास ही एक अखण्ड ज्योत जल रही है। उप सरपंच रामसिंह चौहान और बनेसिंह चौहान ने बताया कि यहां जो लोग लकवा से पीड़ित है वो माता जी का चमत्कार देख सकते है। यह भी माना जाता है कि यहां लकवा के मरीज ठीक हो जाते हैं जो भी लोग भी लकवा से पीड़ित है वो माता जी के मंदिर जरूर जाए ताकि माता जी आपकी पीड़ा को दूर कर दे। माता जी के मंदिर का जीर्णोधार हो रहा है और मंदिर का नक्सा भी रखा हुआ देखा गया। नवरात्रि के नौ दिनों में नौ अलग-अलग रूपों के दर्शन होते हैं, यहां पर महारानी अहिल्या देवी से लेकर कई राजाओं ने इस मंदिर में माथा टेका है। इस दौरान राष्ट्रिय अध्यक्ष लोकेंद्र गुर्जर, प्रादेश प्रभारी दिलीप बिरला, जिला प्रभारी राजेश अर्चरे सत्यनारायण बेरिगी आदि मौजूद थे।

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