सिंगरौली,ऊर्जाधानी के नाम से गौरवान्वित होने वाला सिंगरौली जिला अपार खनिज संपदाओं की भरमार होने का दंश झेल रहा है,जी हां आप सही सुन रहे हैं,सिंगरौली जिले के गर्भ में भले ही बेशकीमती खनिज संपदाओं की भरमार हो लेकिन यहां के मूल निवासियों के लिए ये खनिज संपदा अभिशाप शाबित हो रही हैं, इस कड़वा सच का हकीकत देखना हो तो सिंगरौली जिले के शरई थाना क्षेत्र अंतर्गत कठेरी गांव में जाइए वहां की दयनीय स्थिति निश्चित रूप से चीख चीख कर कहेगी की खनिज संपदा की वजह से यहां के मूल निवासी,यौन के जलाशय,जमीन,पेड़ पौधे,तथा पशु पक्षी मुश्किल में है,जी हां कठेरी में संचालित विभिन्न क्रेसर प्लांट तथा पत्थर खदाने आसपास के दर्जनों ग्रामवासियों के लिए मुसीबत बनी हुई हैं,इन केसर प्लांटों में सरेआम नियमों की अनदेखी की जा रही है, क्रेसर प्लांट से निकलने वाले विषैले डस्ट से एक ओर सैकड़ों किसानों की जमीनें बंजर हो रही हैं वहीं प्रदूषित वायु से लोग भी गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं,लेकिन इन क्रेसर संचालकों की मनमानी पर अंकुश लगाने ना तो प्रशासनिक अधिकारी सामने आ रहे हैं और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों को यह समस्या दिख रही है,जबकि प्रदेश की शिवराज सरकार खुद को किसानों की हितैषी बताती है,किसानों के हित में नए नए वादे करती है लेकिन इन सभी वादों का पोल कठेरी में खुल रहा है,पिछले दिनों कठेरी सहित आसपास के कई गांवों का जायजा लिया गया जहां बहुत ही दयनीय स्थिति नजर आई,क्रेसर प्लांटों में सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है,प्लांट से निकलने वाला विषैला डस्ट का गुब्बार आसपास के गई गांवों में जा रहा है,आसपास की जमीनों में डस्ट की मोटी परत जमी रहती है,जलाशयों का पानी विषैला हो रहा है,घरों के उपर डस्ट की परत स्पष्ट दिख रही थी,इसी तरह से ढेर सारी समस्याएं नजर आईं,वहीं ग्रामवासियों ने भी इस सभी समस्यायों से अवगत कराया आसपास संचालित है दो क्रेसर प्लांट कठेरी गांव में शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन क्रेशर प्लांट के पास एक और सीमा स्टोन क्रेशर के नाम से क्रेसर प्लांट संचालित है ,नियमों को दरकिनार कर ये दोनों क्रेसर प्लांटों तथा पत्थर खदानों के संचालक आसपास के सैकड़ों ग्रामवासियों के लिए दुश्मन बने हुए हैं,बताते हैं कि पिछले एक दशक से ये क्रेसर प्लांट संचालित हैं इस दौरान हर साल आसपास के सैकड़ों किसानों की फसलें प्रभावित होती हैं लेकिन इस गंभीर समस्या पर किसी की नजर नहीं पड़ी क्रेसर संचालक नियमों को दिखा रहे ठेंगा दरअसल क्रेसर प्लांट संचालित करने के लिए सरकार ने निर्धारित गाइड लाइन तैयार किया है,यदि सभी नियमों का पालन क्रेसर प्लांटो में किया जाता तो इस तरह की समस्या निर्मित ना होती,हालाकी बस्ती वाले क्षेत्रों में क्रेसर प्लांटों के संचालन की अनुमति नहीं दी जाती,और कठेरी सहित आसपास के कछरा,रजनिया,भरसेड़ी ,पोड़ी महुआ गांव सहित कई गांवों में काफी बस्ती है,ऐसी स्थिति में बस्ती वाले क्षेत्र में क्रेसर प्लांट संचालित होने पर वैसे भी नियमों का पालन कड़ाई से करना चाहिए लेकिन यहां तो जैसे इन क्रेसर संचालकों के लिए कोई नियम ही ना बना हो,जबकि क्रेशर प्लांट तीन से चार किमी के आवासीय क्षेत्र को प्रभावित करता है। पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर और आसपास रहने वाले लोगों में शत प्रतिशत गंभीर बीमारी से ग्रसित होने की संभावना रहती है। इसके अलावा ये करीब एक किमी क्षेत्र की खेती को भी गंभीर रूप से नष्ट करते हैं। इनके आसपास की जमीन बंजर हो जाती है नियमानुसार मशीनों को कबर्ड करने के साथ पानी का छिड़काव नही किया जाता जिससे किसानों की जमीन बंजर हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि क्रेशर प्लांट के कारण आसपास क्षेत्र में हमेशा 24 घंटे धूल उड़ती है। ग्रामीणों ने कहा कि खजिन, प्रदूषण, स्थानीय प्रशासन को निगरानी रखना चाहिए, लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा।
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