मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों की दुर्दशा किसी गाय के रहने के स्थान से भी बदतर हो चली है क्योंकि इस प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों का बोलबाला है, इसी कारण सरकारी स्कूलों की दुर्दशा बद से बद्दातर हो चली है, इसका जीता जागता उदाहरण नरसिंहपुर जिलें की गाडरवाड़ा तहसील के शासकीय प्राथमिक शाला इमलिया का है जहा पर प्रशासन की दोहरी नीति के कारण आज 1965 में बना स्कूल जर्जर हो चुका है जो आज पन्नी और पाल डाल कर चल रहा है । आखिर किस बड़ी घटना के इंतजार में स्कूल शिक्षा विभाग बैठा हुआ है, न इस स्कूल की मरमत्त हो रही है न की कोई नया स्कूल बन रहा है । जबकि स्कूल के बच्चों के लिए एक छोटा खेल मैदान था जिसमें बीच में हैंडपंप लगा दिया है, इसके अलावा स्कूल में पीने के पानी अधूरी व्यवस्था के साथ साफ सफाई और शौचालय की स्थिति भी खराब है । आपको जानकर हैरानी होगी की इतने पुराने स्कूल में भी बच्चे पढ़ने को मजबूर है क्युकी गांव में गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए कोई दूसरा स्कूल नहीं है । क्या कहना है ग्रामीणों का गाडरवाड़ा तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली ग्राम इमलिया कल्याणपुर में 1965 बना स्कूल जो अब जर्जर क्षतिग्रस्त घोषित हो गया है । जिसके बाद भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं न ही शिक्षक कुछ कर रहे है, जबकि हम आवेदन भी दे दिए हैं । हम गरीब लोगों के बच्चे स्कूल में जाते हैं तो खतरा बना रहता है कि कोई दीवार ना गिर जाए या कोई बड़ी दुर्घटना ना हो जाए जिससे कई बच्चों को की जान जोखिम में डालकर हम बच्चों को स्कूल भेजते हैं । जब तक बच्चे वापस नहीं आते जब तक समस्या बनी रहती है कि कब आएंगे बच्चे सुरक्षित है कि नहीं एक तरफ सरकार विकास के नाम पर लंबी चौड़ी बातें कर रही है वही हकीकत देखी जाए तो स्थिति कुछ और है ।
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