सिंगरौली जिले के देवसर उपमंडल अंतर्गत ग्राम कुरसा में सैकड़ों पेंड खैर की लकड़ी काट दी गई, वन विभाग के जियावन रेंजर अभिषेक मिश्रा के अनुसार जिस जमीन में लकड़ी की कटाई हुई है वह जमीन राजस्व विभाग की है, फिलहाल लकड़ी का परिवहन होते देख कुछ लकड़ियां वन विभाग ने जब्त कराई है लेकिन गांव के लोग बताते हैं कि अधिकांश लकड़ियां वन माफिया उठा ले गए,ऐसे में सरकार एवं भूमि स्वामी की लाखों रुपए की क्षति पहुंची है , बताते हैं कि उक्त जमीन किसी ग्रामवासी के पट्टे की जमीन थी, तथा बताया जा रहा है कि लकड़ी माफियाओं ने लकड़ी काटने के लिए एक आदेश पत्र ग्राम वासियों को दिखाया था अब वह आदेश पत्र फर्जी था या किसी विभाग ने जारी किया था इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है दरअसल पुष्टि होगी भी कैसे जब इस पूरे खेल का भंडाफोड़ हुआ तब तक लकड़ी माफिया कुछ लकड़ियां लेकर रफूचक्कर हो गए थे,इधर वन विभाग ने कुछ लकड़ियां जप्त करा कर तहसील कार्यालय देवसर में जांच करने के लिए लेटर जारी कर अपने जिम्मेदारियों की इति श्री कर ली है ,इधर तहसील कार्यालय ने भी संबंधित पटवारी को जांच करने के लिए पत्र जारी कर जिम्मेदारों ने अपने दायित्वों के निर्वहन की औपचारिक खाना पूर्ति कर ली है,वहीं लाखों रुपए की कीमती लकड़ी काटने वाले माफिया हफ्ते भर बाद भी कार्यवाही से दूर हैं,अब इस पूरे मामले के प्रति वन तथा राजस्व विभाग के जिम्मेदार कितना संवेदनशील हैं इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि लकड़ी काटने के हफ्ते भर बाद भी ना ही जांच पूरी हो सकी और ना ही अभी तक एफआईआर दर्ज कराई गई माफियायों ने तैयार कराया था आदेश पत्र दरअसल खैर की लकड़ी काटने से पूर्व माफियाओं ने एक आदेश पत्र तैयार कराया था, वही आदेश पत्र भूस्वामी एवं आसपास के ग्राम वासियों को दिखाकर लकड़ी काट ली गई अब लोगों के समझ में यह नहीं जा रहा है कि कोई भी व्यक्ति फर्जी आदेश पत्र तैयार कर दिनदहाड़े कीमती खैर की सैकड़ों पेड़ लकड़ियां कटवा लेता है तथा उसको ना तो वन विभाग के अधिकारियों का खौफ रहता और ना ही राजस्व विभाग के जिम्मेदारों का भय, ऐसी स्थिति में लोगों का जिम्मेदार अधिकारियों के प्रति संदेह होना स्वाभाविक है, अब चर्चा हो रही है कि बिना जिम्मेदारों की मिलीभगत से कोई भी व्यक्ति इतना बड़ा खेल भला कैसे कर सकता है, फिलहाल इस पूरे खेल में किसी भी विभाग के जिम्मेदार अधिकारी की मिलीभगत रही हो या नहीं इसकी पुष्टि अभी नहीं हो पाई है लेकिन इतना जरूर है कि जिस तरह से सैकड़ों पेड़ कीमती खैर की लकड़ी एक आदेश पत्र दिखाकर काट ली गई और लकड़ी कटने के हफ्ते भर बाद भी जांच पूरी नहीं कराई जा सकी तथा माफियाओं के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की गई ऐसी स्थिति में जिम्मेदारों पर संदेह होना स्वाभाविक है इनका कहना है इस मामले की संबंधित पटवारी से जांच कराई जा रही है,जांच पूरी होने के बाद उचित कार्यवाही की जाएगी
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