देवसर,हुजूर सैय्यद खालीके मिल्लत अलैह रहमा का 24 वा अर्से पाक 2 जून को जुमा के अवसर पर बड़ी सादगी ओर एहतराम के साथ मनाया गया,इस अवसर पर दूर दराज से आए हुए जायरीन ने चादरें पेश की,तथा दरगाह के सज्जादा नशीन हज़रत सैय्यद आदिल मियां समेत दूसरे देश विदेश के उलमा भी शरीक हुए , उर्स के पहले दिन बाद नमाजे मगरिब मज़ार शरीफ के गुसुल का एहतमाम हुआ तथा दूसरे दिन बाद नमाजे मगरिब चादर पोशी हुए फिर बाद नमाजे इशा प्रोग्राम शुरू हूआ,सब से पहले जलसे का आगाज क़ुरान पाक की तिलावत से किया गया फिर नात खुवानी और बाहर से तशरीफ लाए हुए उलमा जैसे मुफ्ती मुहमद समदानी मियां बरैली शरीफ । मुफ्ती मसूद अहमद मिस्बाही अशरफिया मुबारक पुर मुफ्ती खालिद अय्यूब मिस्बाही राजिस्थान। व दीगर उलमाए किराम ने अपने अपने तासुरात पेश किए ओर उम्मत की फलाह और शरियत का पैग़ाम आता फरमाया। आखिर में दारुल उलूम सुलेमानिया रजविया हबीबिया देवसर से निकलने वाले तलवा के सरों पर दसतार भी सजाई गई इस साल फारिग होने वाले तलबा 11 किरात। 2 हिफ्ज़। 4 मोलवी के रहे जिन के सरों पर उलमा ने दस्तार बांधी ओर सनद भी दी गई आखिर में हुजूर सैय्यद आदिल मियां ने सदारती खुतबा दिया जिसमें उन्होंने बताया कि उर्स का मकसद नाम नुमुद व मेला नहीं बल्की उम्म्त को दीन का सही रास्ता बताना लोगों की खिदमत करना चाहे वो किसी भी धर्म का हो अमीर हो या गरीब सब का ख्याल रखना बिना किसी धार्मिक भेद भाव के भूखों ओर प्यासों का पेट भरना उनकी ज़रूरी यात को पूरा करना ये हमारा अखलाकी फरीज़ा और उनके अंदर रूहानियत पैदा करना यही उर्स का पैग़ाम है उन्होंने ये भी बताया कि उर्स में हर धर्म के लोग अपनी अपनी अकीदत से शरीक होते हैं अपने तौर पर मदद भी करते हैं ओर यहां बरकात हासिल करते हैं फिर तमाम आए हुए जायरीन के लिए बिलखुसुस ओर पूरी दुनिया के लिए भी दुआ फरमाई,साथ ही तमाम कारकुनान आए हुए तमाम मीडिया के लोग ओर वहां मौजूद तमाम पुलिस प्रशासन का शमीमे कल्ब से शुक्रिया अदा किया ओर नेक दुवाओं से भी नवाजा
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