सिंगरौली – जिले में हजारों एकड़ सरकारी भूमि का बंदरबाट करने का लगा गंभीर आरोप

सिंगरौली जिले में हजारों एकड़ सरकारी भूमि का बंदरबाट करने का लगा गंभीर आरोप जिले के प्रथम कलेक्टर के एक आदेश के सहारे हुआ बड़ा खेल औद्योगिक कंपनियों के लिए अधिग्रहित की गई जमीनों में हुआ सबसे ज्यादा गड़बड़झाला सिंगरौली,सिंगरौली जिले में हजारों एकड़ सरकारी भूमियों का बंदरबाट करने का इन दिनों गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं अनुरोध शुक्ला ने इस खेल से संबंधित तमाम दस्तावेज उपलब्ध कराते हुए आरोप लगाया है कि जिले जा दर्जा मिलते सिंगरौली में भू माफियाओं की सरकारी जमीनों पर गिद्ध नजर पड़ गई और हजारों एकड़ सरकारी भूमि में खेल कर दिया गया हालाकी बताया जाता है कि भू माफियाओं द्वारा सिंगरौली को जिला बनने के पूर्व से ही सरकारी भूमियों में खेल किया जाता रहा लेकिन जिला बनने के बाद इस खेल में सारी हदें पार कर दी गई,आरोप लगाए जा रहे हैं कि सिंगरौली जिले मे सासन की भूमियों में ऊपर लेखन एवं सफेद स्याही एवं पेज बदलकर शासन की भूमियों को बंदरबांट करने के लिए ही जिला बनाया गया है जिसके प्रमुख दोषी तत्कालीन कलेक्टर पी नरहरि है साथ ही कुछ इस खेल को अंजाम देने वाले सरकारी तंत्र के कुछ अधिकारी अभी भी सिंगरौली जिले में अपनी सेवाएं दे रहे हैं,इनके अलावा कुछ अधिकारी जिले से बाहर चले गए हैं फिलहाल जिस तरह से आरोप लगाए जा रहे हैं ऐसे में निश्चित रूप से उच्च स्तरीय जांच करने की आवश्यकता है ऐसे हुआ था खेल दरअसल बताया गया की सरकारी जमीनों ने खेल करने के लिए तत्कालीन कलेक्टर के एक आदेश का सहारा लिया गया जिसमे कलेक्टर ने दिनांक 10/10/2009 को पत्र जारी कर शासन की भूमियों के साथ बंदोबस्त के पूर्व के रिकार्डों को एवं खतौनी वर्ष1958-59 जो रिकॉर्ड का मूल आधार बनाई गई को आम जनता के लिए नकल देने से प्रतिबंध लगा दिया गया था इसके बाद सरकारी तंत्र ने सिंगरौली जिले के कई गांवों के राजस्व रिकार्डों में ऊपर लेखन एवं सफेद स्याही लगवा कर एवं पेज बदलवा कर भूस्वामी स्वत्व में दर्ज करवाया गया है जांच में पाई गई थी गड़वड़ी तत्कालीन कलेक्टर पी नरहरि के इस आदेश के बाद सरकारी जमीनों में जमकर बंदरबांट किया गया फिर शिकायतों के बाद इसकी जांच हुई जांच में तहसील उपखंड एवं जिले में रखें रिकार्डों में ऊपर लेखन एवं सफेद स्याही एवं पेज बदलने की कार्यवाही की गई जिसकी पुष्टि उपखंड अधिकारी देवसर एवं अपर कलेक्टर सिंगरौली के पत्र कर रहे हैं जिसमें तत्कालीन कलेक्टर के द्वारा मात्र कुछ गांवों की जांच की कार्यवाही कराई गई सिर्फ दिखावे के लिए की गई थी कार्यवाही आरोप लगाए जा रहे हैं की सरकारी जमीनों में की गई गड़बड़ी के बाद जांच एवं कार्यवाही निष्पक्ष नही हुई थी सिर्फ दिखावे के लिए कार्यवाही की गई थी, क्योंकि वास्तविक जांच अगर कराई गई होती तो जिला अभिलेखागार में रखे रिकॉर्ड जो बंदोबस्त होने के पूर्व वर्ष के थे वर्ष 1980से 1985 के खसरे की भी जांच के साथ खतौनी वर्ष 1958-59 की जांच कराई गई होती क्योंकि जो जांच कराई गई है उसमें बंदोबस्त के बाद के रिकार्डों की जांच करवाते हुए नकल से शाखा के बाबू एवं ट्रांसफर शुदा पटवारी को दोषी सिद्ध किया गया है इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पी नरहरि के साथ इनके गैंग के सदस्य पूरे भ्रष्टाचार के मास्टरमाइंड है जबकि सिंगरौली जिले के अधिकतर ग्रामों की भूमियों में तत्कालीन कलेक्टर पी नरहरि एवं जिले में वर्तमान चौकड़ी बाबू एवं कई पटवारी,राजस्व निरीक्षक,तहसीलदार (उपेंद्र सिंह) एवं उपखंड अधिकारी एवं कई राजनेता अपने परिजनों के नाम कई गांवों में भूमिया ऊपर लेखन एवं सफेद स्याही का उपयोग कराए हैं और पेज बदलवा करके लिखाएं है ईओडब्लू रीवा की टीम कर रही जांच इस पूरे खेल की शिकायत भी की गई है जिसकी जांच ईओडब्ल्यू रीवा द्वारा की जा रही है जिसमें कुछ गांव के ऊपर लेखन एवं सफेद स्याही संबंध में एवं उपखंड के ऊपर लेखन एवं सफेद स्याही एवं जिले के रिकार्डों मे ऊपर लेखन एवं सफेद स्याही के संबंध में जल्द से जल्द बहुत लोगों के ऊपर मुकदमा पंजीबद्ध होने की संभावना है, छोटे कर्मचारी को बनाया गया था बलि का बकरा बताते हैं कि जब 2009-10 में इसकी शिकायतें होने लगी तो कुछ गांवों की जांच अपने मन मुताबिक छोटे निर्दोष कर्मचारी पर करा कर प्रकरण को दवा दिया गया किंतु इसकी शिकायत आर्थिक अपराध शाखा एवं पुलिस से कुछ लोगों के द्वारा किए जाने लगे तब आर्थिक अपराध शाखा रीवा द्वारा नियमित अपराध क्रमांक 28 / 15 और109/22एवं पुलिस थाना सरई का अपराध क्रमांक 506 / 12 अपराध कायम कर विवेचना आज 10 से 12 सालों में पूर्ण नहीं की जा सकी यहां भी इन प्रमुख व्यक्तियों का प्रभाव असर देखा जा रहा है ,और ना ही राजस्व विभाग द्वारा दोषी बनाया उन पटवारियों की फाइल का निराकरण अभी वर्तमान समय में

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