मंडला जिला न्यायालय के अधिवक्ता संघ के प्रांगण में अधिवक्ता संघ के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। समारोह में सर्व प्रथम मां सरस्वती की पूजन करके मुख्य अतिथि माननीय न्यायाधिपति संजय द्विवेदी के द्वारा मां सरस्वती के मंत्र उच्चारण के उपरांत कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम मै माननीय संजय कृष्ण जोशी, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश मंडला, विशिष्ट अतिथि पारितोष त्रिवेदी, सचिव म.प्र. उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ जबलपुर, डॉ. अशोक मर्सकोले विधायक निवास, विनोद कछवाहा अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद् मंडला उपस्थिति रहे। अधिवक्ता संघ मंडला के निर्वाचित अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रामेश्वर झारिया, उपाध्यक्ष रजनीश रंजन उसराठे, सचिव इम्तियाज अख्तर को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधिपती माननीय संजय द्विवेदी के कर कमलों द्वारा नियुक्ति पत्र देकर सम्मान किया गया। इसी तरह जिला न्यायालय के प्रधान एवं सत्र न्यायाधीश माननीय संजय कृष्ण जोशी, कुटुंब न्यायालय की प्रधान न्यायधीश माननीय — के द्वारा अधिवक्ता संघ के कार्यकारिणी सदस्यों को नियुक्ति प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उच्चतम न्यायालय जबलपुर के न्यायाधिपती संजय द्विवेदी के द्वारा अधिवक्ता संघ को संबोधित करते हुआ कहा की अधिवक्ताओं को अपने-अपने पक्षकारों को न्याय दिलाने के लिए विलम्ब नहीं करना चाहिए। अगर अधिवक्ताओं के पक्षकारों के केश लगे हो उस पर बहस करना चाहिए ना की पेशी बढ़ाना चाहिए।कुछ अधिवक्ताओं के द्वारा अपने पक्षकारों के पक्ष में बहस ना करके पेसी बढ़ावा कर मामले को लम्बा खींचा जाता है। अधिवक्ताओं का सर्वप्रथम फर्ज होता है कि अपने पक्षकारों को जल्द से जल्द न्याय दिलाएं और समय पर न्यायालय पहुंचे। श्री द्विवेदी ने आगे कहा कि हम 10:00 बजे न्यायालय में आकर बैठ जाते हैं। अधिवक्ताओं को चाहिए कि न्यायालयों से समन्वय बनाकर रखना चाहिए। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश माननीय संजय कृष्ण जोशी के द्वारा अपने उद्बोधन में अधिवक्ताओं को संबोधित करते बार एसोसिएशन मंडला के बारे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधिपति को अवगत कराया गया। कार्यक्रम के दौरान विधायक डॉ. अशोक मर्सकोले ने अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए व उच्चतम न्यायालय की न्यायाधिपति श्री द्विवेदी को संज्ञान में लाया गया कि पक्षकारों को न्याय अपराधियों को अति शीघ्र न्याय दिलाने के लिए फास्टट्रैक न्यायालय भी बनाए गए हैं लेकिन फास्टट्रैक की तरह मामले का निराकरण नहीं होता। और अपनी बात ऊपर रखने के लिए कहा।
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